शर्म अल-शेख गाज़ा शांति सम्मेलन: भारत की भागीदारी और पश्चिम एशिया में कूटनीतिक संकेत

शर्म अल-शेख गाज़ा शांति सम्मेलन: भारत की भागीदारी और पश्चिम एशिया में कूटनीतिक संकेत

गाज़ा में युद्धविराम के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा शांति बहाली के लिए एक महत्त्वपूर्ण पहल की गई है। मिस्र के शर्म अल-शेख शहर में सोमवार को आयोजित होने जा रहे “गाज़ा शांति सम्मेलन” में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह करेंगे। यह सम्मेलन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई शुरुआत

यह सम्मेलन उस संघर्षविराम के बाद हो रहा है जिसे पिछले शुक्रवार इज़राइल और हमास के बीच मध्यस्थता कर अमेरिका, मिस्र, क़तर और तुर्की ने सफल बनाया। इस समझौते के तहत सोमवार से हमास बंधकों को रिहा करना शुरू करेगा, वहीं इज़राइल करीब 250 फिलीस्तीनी कैदियों और 1,700 बंदियों को रिहा करेगा। इसके बदले गाज़ा में मानवीय सहायता बढ़ाई जाएगी और कुछ प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी।

वैश्विक नेतृत्व की उपस्थिति और भारत की भूमिका

सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की जॉर्जिया मेलोनी, स्पेन के पेड्रो सांचेज़ और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जैसे शीर्ष वैश्विक नेता शामिल होंगे। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भागीदारी अभी अनिश्चित है, जबकि हमास ने सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
भारत द्वारा प्रधानमंत्री की बजाय विदेश राज्य मंत्री को भेजना एक संतुलित कूटनीतिक संकेत है—न तो अत्यधिक सक्रिय भागीदारी, न ही पूर्ण दूरी। इससे भारत पश्चिम एशिया में अपनी कूटनीतिक उपस्थिति बनाए रखते हुए शांति प्रयासों को समर्थन देने का सटीक संदेश दे रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गाज़ा संघर्ष की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले से हुई थी, जिसमें 1,200 इज़राइली मारे गए और 251 को बंधक बना लिया गया।
  • अब तक इस संघर्ष में 67,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश फिलीस्तीनी हैं।
  • शर्म अल-शेख मिस्र का रेड सी रिसॉर्ट शहर है, जो शांति वार्ताओं और मध्यस्थता का प्रमुख स्थल बन चुका है।
  • भारत पश्चिम एशिया में ऊर्जा, रक्षा और प्रवासी भारतीयों के कारण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और क्षेत्रीय स्थिरता में उसकी रुचि भी रणनीतिक है।
Originally written on October 14, 2025 and last modified on October 14, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *