शनि के चंद्रमा एनसेलाडस पर जीवन की संभावनाओं के नए संकेत

नासा के अंतरिक्ष यान कैसिनी (Cassini) द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के नए विश्लेषण ने एक बार फिर यह प्रमाणित किया है कि शनि का चंद्रमा एनसेलाडस (Enceladus) जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ रखता हो सकता है। वैज्ञानिकों ने इस छोटे और बर्फ से ढके चंद्रमा के भूमिगत महासागर (subsurface ocean) से निकलने वाले बर्फीले फव्वारों (geyser-like jets) में पहले से अधिक जटिल जैविक अणुओं (complex organic molecules) की पहचान की है।
कैसिनी के डेटा से मिली नई रासायनिक जानकारी
शोधकर्ताओं ने 2008 में कैसिनी द्वारा की गई सबसे नज़दीकी उड़ान के दौरान प्राप्त डेटा का पुन: विश्लेषण किया। इस दौरान यान ने एनसेलाडस के दक्षिणी ध्रुव के पास सतह की दरारों से निकलते गैसों और बर्फ के कणों के फव्वारों के बीच से होकर उड़ान भरी थी। नए विश्लेषण से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के आंतरिक महासागर की रासायनिक संरचना की अधिक स्पष्ट तस्वीर मिली।इस अध्ययन में उन अणुओं की पुष्टि हुई जो एमिनो एसिड (amino acids) — यानी प्रोटीन और जीवन के मूल निर्माण खंडों — के अग्रदूत हैं। साथ ही, कुछ नई श्रेणियों के कार्बन-युक्त अणु भी मिले, जो पहले नहीं देखे गए थे।
वैज्ञानिकों के निष्कर्ष और संभावनाएँ
अध्ययन के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नोज़ैर ख्वाजा (Nozair Khawaja) के अनुसार, “हमने कई प्रकार के ऑर्गैनिक (carbon-containing) अणुओं की पहचान की है, जिनकी रासायनिक संरचना और गुण भिन्न-भिन्न हैं। ये अणु उचित परिस्थितियों में जीवन के लिए आवश्यक जटिल यौगिकों के निर्माण की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।”उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन अणुओं का निर्माण गैर-जैविक (abiotic) प्रक्रियाओं से भी संभव है, यानी जीवन के बिना भी ये बन सकते हैं।
एनसेलाडस: सौरमंडल में जीवन खोज का प्रमुख केंद्र
एनसेलाडस, जो ग्रीक पौराणिक कथा के एक दैत्य के नाम पर रखा गया है, शनि के सबसे भीतरी उपग्रहों में से एक है। इसका व्यास लगभग 504 किलोमीटर है और यह शनि से 2.38 लाख किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है।वैज्ञानिकों का मानना है कि एनसेलाडस के बर्फीले आवरण (12–19 मील मोटे) के नीचे गर्म खनिजों से भरपूर महासागर है, जहाँ हाइड्रोथर्मल वेंट्स (hydrothermal vents) से गर्म पानी और खनिज पदार्थ निकलते हैं — वही परिस्थितियाँ जो संभवतः पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का कारण बनी थीं।
डेटा विश्लेषण और अनुसंधान की प्रक्रिया
कैसिनी ने एनसेलाडस के फव्वारों से निकलते बर्फ के कणों का नमूना तब लिया जब उसकी गति लगभग 64,800 किमी प्रति घंटा थी। ये कण एनसेलाडस के महासागर से निकले हुए केवल कुछ मिनट पुराने थे, इसलिए उन पर अंतरिक्षीय विकिरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। इससे वैज्ञानिकों को महासागर में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं की वास्तविक झलक प्राप्त हुई।ख्वाजा के अनुसार, “हमने जीवन नहीं पाया है, न ही जीवन के कोई प्रत्यक्ष संकेत मिले हैं, लेकिन हमारे पास एनसेलाडस के निवास योग्य (habitable) होने के तीनों प्रमुख तत्व — तरल जल, ऊर्जा स्रोत और आवश्यक जैविक तत्व — के पर्याप्त प्रमाण हैं।”
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- एनसेलाडस शनि का छठा सबसे बड़ा उपग्रह है, जिसकी खोज 1789 में विलियम हर्शल ने की थी।
- कैसिनी मिशन (1997–2017) नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी का संयुक्त अभियान था।
- एनसेलाडस से निकलने वाले बर्फीले कण शनि के E-रिंग (E-ring) का निर्माण करते हैं।
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) आने वाले वर्षों में एनसेलाडस पर नई मिशन योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है।