व्हाइट-चीक्ड पार्ट्रिज का असम में सफल रेस्क्यू: जनसहभागिता से संरक्षण की मिसाल

व्हाइट-चीक्ड पार्ट्रिज का असम में सफल रेस्क्यू: जनसहभागिता से संरक्षण की मिसाल

असम के तिनसुकिया जिले में हाल ही में सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से एक संकटग्रस्त पक्षी — व्हाइट-चीक्ड पार्ट्रिज (Arborophila atrogularis) — को बचाकर पुनः उसके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ा गया। यह पक्षी IUCN रेड लिस्ट में “निकट संकटग्रस्त” के रूप में सूचीबद्ध है, और इसकी जनसंख्या लगातार घट रही है। इस सराहनीय कार्य को ग्रीन बड सोसाइटी के वन्यजीव कार्यकर्ता कल्पज्योति सोनवाल और देवजीत मोरन ने दिगबोई वन प्रभाग के सहयोग से अंजाम दिया।
यह घटना 24 अक्टूबर की देर शाम की है जब कोपोहुबा गांव (लखीपाथर रेंज के अंतर्गत) में ग्रामीणों ने एक घायल और तनावग्रस्त पक्षी को देखा। उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचना दी, जिसके बाद ग्रीन बड सोसाइटी की टीम मौके पर पहुँची और पक्षी की पहचान की। यह पक्षी स्वभाव से शर्मीला और जमीन पर रहने वाला होता है, जो पूर्वोत्तर भारत, उत्तरी म्यांमार और पूर्वोत्तर बांग्लादेश के घने वनों में पाया जाता है।
संक्षिप्त स्वास्थ्य जांच और जलपान के बाद, पक्षी को उसी दिन सोराइपुंग रेंज के एक उपयुक्त और सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया। इस अवसर पर दिगबोई वन प्रभाग के वन रेंजर भास्कर नाथ (FR-I) भी उपस्थित रहे।

संरक्षण में समुदाय की भूमिका

इस सफल रेस्क्यू को दीहिंग पटकाई नेशनल पार्क और आसपास के इलाकों में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक प्रेरक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। देवजीत मोरन ने कहा, “स्थानीय जागरूकता के कारण अब दुर्लभ प्रजातियों को समय पर बचाया जा सकता है। यह सफलता उन ग्रामीणों की है जो अपने जंगलों से आत्मीयता रखते हैं।”
कल्पज्योति सोनवाल, जो सोराइपुंग क्षेत्र में लंबे समय से जैव विविधता के संरक्षण में लगे हुए हैं, ने सामुदायिक सहयोग को ऐसे अभियानों की कुंजी बताया। वहीं एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने इस रेस्क्यू को प्रशासन, स्थानीय संगठन और जनता के बीच तेज़ समन्वय का आदर्श उदाहरण बताया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • व्हाइट-चीक्ड पार्ट्रिज (Arborophila atrogularis) को IUCN ने Near Threatened (निकट संकटग्रस्त) प्रजाति घोषित किया है।
  • यह पक्षी मुख्य रूप से सदाबहार वनों और झाड़ियों में पाया जाता है और जमीन पर रहता है।
  • दीहिंग पटकाई नेशनल पार्क को “पूर्व का अमेज़न” कहा जाता है और यह भारत के सबसे समृद्ध वर्षावन क्षेत्रों में शामिल है।
  • ग्रीन बड सोसाइटी एक स्थानीय संगठन है जो पूर्वोत्तर भारत में वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता के लिए काम करता है।
Originally written on October 28, 2025 and last modified on October 28, 2025.

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