वैश्विक शिक्षा संकट: स्कूल से बाहर 27 करोड़ से अधिक बच्चे

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (GEM) टीम की नवीनतम रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि वैश्विक स्तर पर स्कूल से बाहर बच्चों की संख्या अब 27.2 करोड़ तक पहुँच गई है, जो पिछले अनुमान से 2.1 करोड़ अधिक है। यह आँकड़ा न केवल शिक्षा क्षेत्र की गंभीर स्थिति को दर्शाता है, बल्कि सतत विकास लक्ष्य (SDG) 4 को प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों को भी उजागर करता है।

बढ़ती संख्या के पीछे के मुख्य कारण

GEM रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल से बाहर बच्चों की बढ़ती संख्या के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला कारण, नया नामांकन और उपस्थिति डेटा है, जिसने 80 लाख (38%) की वृद्धि दर्शाई है। अफगानिस्तान में 2021 से माध्यमिक विद्यालय आयु की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध भी इस वृद्धि में योगदान देने वाला एक बड़ा कारक है।
दूसरा कारण, संयुक्त राष्ट्र की अद्यतन जनसंख्या अनुमानों से जुड़ा है, जिससे 1.3 करोड़ (62%) की वृद्धि हुई है। 2025 तक 6 से 17 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की संख्या में 3.1% यानी 4.9 करोड़ की वृद्धि का अनुमान है।

भारत में भी चिंताजनक हालात

भारत के बिहार और असम जैसे राज्यों में स्कूल छोड़ने की दर चिंताजनक स्तर पर पहुँच गई है। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में नामांकन की संख्या में एक करोड़ से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत और जमीनी सुधारों की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।

संकट क्षेत्रों में डेटा संग्रह की चुनौतियाँ

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में डेटा एकत्र करना अत्यंत कठिन होता है, जिससे वास्तविक स्थिति का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है। जब शिक्षा प्रणाली अचानक बाधित होती है, तब पुराने रुझानों पर आधारित मॉडल वास्तविकता को सही ढंग से नहीं दर्शा पाते।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अफगानिस्तान में तालिबान सरकार द्वारा 1.4 मिलियन लड़कियों को स्कूल जाने से रोका गया है।
  • 2025 तक 6-17 आयु वर्ग के बच्चों की वैश्विक जनसंख्या 3.1% (4.9 करोड़) बढ़ने का अनुमान है।
  • प्राथमिक स्तर के 11%, निचले माध्यमिक के 15% और उच्च माध्यमिक के 31% छात्र स्कूल से बाहर हैं।
  • SDG 4 के लक्ष्य के अनुसार, 2030 तक स्कूल से बाहर बच्चों की संख्या 16.5 करोड़ कम करनी है।

वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करना अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। यदि वर्तमान रुझान जारी रहते हैं, तो 2025 तक दुनिया अपने निर्धारित लक्ष्यों से 7.5 करोड़ बच्चों के अनुपात में पिछड़ जाएगी। शिक्षा तक समान और समावेशी पहुँच सुनिश्चित करना, विशेषकर संकटग्रस्त क्षेत्रों में, नीति निर्माताओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

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