वैश्विक तेल बाज़ार में उथल-पुथल: ईरान-इज़राइल संघर्ष और IEA की 2025 रिपोर्ट से जुड़ी प्रमुख बातें

वैश्विक तेल बाज़ार में उथल-पुथल: ईरान-इज़राइल संघर्ष और IEA की 2025 रिपोर्ट से जुड़ी प्रमुख बातें

ईरान-इज़राइल संघर्ष के बढ़ते तनाव और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की नई रिपोर्ट Oil 2025 ने वैश्विक तेल बाज़ार की दिशा में आ रहे संरचनात्मक बदलावों को रेखांकित किया है। रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में तेल आपूर्ति की वृद्धि मांग को काफी पीछे छोड़ देगी, जिससे बाज़ार में अस्थिरता और प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।

तेल मांग और आपूर्ति का बदलता परिदृश्य

  • वैश्विक तेल मांग 2024 से 2030 के बीच 2.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन (mb/d) बढ़ेगी, 2030 तक लगभग 105.5 mb/d पर स्थिर हो जाएगी।
  • 2025-26 में मांग वृद्धि लगभग 700 kb/d रहेगी, लेकिन इसके बाद यह धीमी पड़ जाएगी और 2030 में गिरावट की संभावना है।
  • इसका प्रमुख कारण आर्थिक सुस्ती, व्यापार तनाव, राजकोषीय असंतुलन और परिवहन व ऊर्जा क्षेत्र में तेल से स्थानांतरण है।
  • तेल उत्पादन क्षमता 2030 तक 5 mb/d से अधिक बढ़कर 114.7 mb/d तक पहुँच जाएगी। इसमें मुख्य योगदान अमेरिका और सऊदी अरब का होगा।
  • इसका अर्थ है कि वैश्विक मांग की तुलना में आपूर्ति में कहीं अधिक वृद्धि होगी, जिससे परिशोधन (refining) और कीमतों पर दबाव बढ़ेगा।

भारत और चीन: भविष्य की प्रमुख मांगकर्ता अर्थव्यवस्थाएं

  • भारत में तेल की मांग अगले 6 वर्षों में 1 mb/d बढ़ने की संभावना है—यह किसी भी देश की तुलना में सबसे तेज़ वृद्धि है। इसका कारण मजबूत GDP वृद्धि है।
  • चीन की मांग अपेक्षा से कम बढ़ रही है। 2024 और 2030 के बीच कुल खपत में मामूली बढ़ोतरी का अनुमान है।

ईरान पर असर और अमेरिकी प्रतिबंध

  • ईरान ने 2024 में 4.7 mb/d उत्पादन किया—2017 के बाद सबसे अधिक। इसमें से 1.6 mb/d कच्चा तेल मुख्यतः चीन को भेजा गया।
  • हालिया अमेरिकी प्रतिबंधों ने ईरान की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को लक्षित किया है। मई 2025 में चीन के आयात में 30% गिरावट दर्ज की गई।
  • ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ चल रही बातचीत स्थिति को और अस्थिर बनाती है।

तेल शोधन और जैव ईंधन का भविष्य

  • परिष्कृत उत्पादों की मांग में अपेक्षित गिरावट के कारण रिफाइनरी क्षमता अधिशेष होगी और कई रिफाइनरियाँ बंद हो सकती हैं।
  • जैव ईंधनों का उत्पादन 2024-2030 के बीच 680 kb/d बढ़ेगा। ब्राज़ील और भारत इस क्षेत्र में नेतृत्व करेंगे, क्रमशः 140 kb/d और 100 kb/d वृद्धि के साथ।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • IEA की स्थापना 1974 में ऊर्जा संकट के जवाब में की गई थी; इसका मुख्यालय पेरिस में है।
  • भारत 2030 तक वैश्विक तेल मांग वृद्धि में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
  • ओपेक+ में 13 ओपेक सदस्य और 10 गैर-ओपेक देश शामिल हैं, जो विश्व उत्पादन का बड़ा हिस्सा नियंत्रित करते हैं।
  • ईरान 2024 में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा आपूर्ति वृद्धि स्रोत था, भले ही उस पर कड़े प्रतिबंध लगे हों।

तेल बाजार का भविष्य अब केवल आर्थिक मांग और आपूर्ति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की बढ़ती भूमिका और वैश्विक नीति परिवर्तनों से भी गहराई से प्रभावित हो रहा है। भारत जैसे विकासशील देशों को रणनीतिक रूप से ऊर्जा सुरक्षा और स्थायी विकास के संतुलन पर ध्यान देना होगा।

Originally written on June 19, 2025 and last modified on June 19, 2025.

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