वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक 2025 में भारत 71वें स्थान पर: ऊर्जा दक्षता और निवेश में उल्लेखनीय प्रगति

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF) द्वारा बुधवार को जारी Fostering Effective Energy Transition 2025 रिपोर्ट में भारत को वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index – ETI) में 71वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह रैंकिंग 118 देशों के ऊर्जा प्रणालियों के प्रदर्शन और परिवर्तन की तैयारी को दर्शाती है।

वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष और भारत की स्थिति

  • शीर्ष 5 देश: स्वीडन, फिनलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड
  • अन्य उल्लेखनीय देश:
    • चीन: 12वां स्थान
    • अमेरिका: 17वां स्थान
    • पाकिस्तान: 101वां स्थान
    • कांगो: अंतिम स्थान
  • भारत: पिछले वर्ष की तुलना में आठ स्थान गिरकर 71वें स्थान पर, फिर भी बड़े देशों में सबसे अधिक प्रगति करने वालों में शामिल

भारत की प्रगति के मुख्य क्षेत्र

  • ऊर्जा दक्षता और निवेश क्षमता: भारत ने ऊर्जा गहनता (Energy Intensity) और मीथेन उत्सर्जन (CH4) में कमी लाकर ऊर्जा दक्षता में उल्लेखनीय सुधार किया है।
  • स्वच्छ ऊर्जा निवेश: नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों में निवेश बढ़ा है।
  • ऊर्जा पहुंच और नियमों में सुधार: ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा पहुंच और ऊर्जा संबंधी नियमन में सुधार ने “समानता” (Equity) के स्तर को बेहतर किया है।

भविष्य के लिए संभावनाएँ

WEF ने भारत के लिए आगे की प्रगति हेतु निम्नलिखित क्षेत्रों में निवेश की आवश्यकता बताई है:

  • ग्रिड की विश्वसनीयता में सुधार
  • ग्रामीण ऊर्जा पहुंच में विस्तार
  • आयातित ऊर्जा पर निर्भरता को घटाना
  • अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, श्रमबल विकास और वित्तीय परिस्थितियों में निवेश

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण की चुनौतियाँ

  • रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में USD 2 ट्रिलियन स्वच्छ ऊर्जा में निवेश के बावजूद, वैश्विक उत्सर्जन 37.8 अरब टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
  • ऊर्जा मांग में 2.2% की वृद्धि, मुख्यतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सेंटर्स, और शीतलन आवश्यकताओं के कारण।
  • सुरक्षा, स्थिरता और समानता—तीनों आयामों में समान प्रगति केवल 28% देशों ने की, जबकि अधिकांश देशों की प्रगति असंतुलित रही।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • विश्व आर्थिक मंच (WEF): 1971 में स्थापित, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI): तीन प्रमुख आयामों (सुरक्षा, स्थिरता, समानता) और पाँच तत्परता कारकों (राजनीतिक प्रतिबद्धता, निवेश, नवाचार, अवसंरचना, मानव पूंजी) पर आधारित।
  • भारत ने ऊर्जा दक्षता, ग्रिड सुधार और स्वच्छ ऊर्जा निवेश में वैश्विक स्तर पर सराहनीय प्रगति की है।

भारत की यह रैंकिंग जहाँ एक ओर सुधार की आवश्यकता को इंगित करती है, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट करती है कि देश ने ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। यदि नीति निर्धारण, वित्तीय संसाधन और नवाचार में निरंतरता बनी रही, तो भारत आने वाले वर्षों में ऊर्जा संक्रमण में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है।

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