वैश्विक ऊर्जा संक्रमण की चुनौतियाँ और समाधान: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2025 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक अस्थिरता और तकनीकी बदलाव की त्रिवेणी के दबाव में दुनिया की ऊर्जा प्रणालियाँ चरम सीमा पर हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की “Fostering Effective Energy Transition 2025” रिपोर्ट ने 18 जून 2025 को यह स्पष्ट किया कि 2024 में ऊर्जा की रिकॉर्ड माँग ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमजोरी उजागर कर दी है और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ऊर्जा मांग का दबाव और निवेश में गिरावट

  • 2024 में वैश्विक ऊर्जा मांग 2.2% बढ़ी — कई वर्षों में सबसे तेज़ वृद्धि — जिसका कारण था अत्यधिक गर्मी, एआई डाटा सेंटरों की बेतहाशा ऊर्जा खपत और इलेक्ट्रिफिकेशन की गति।
  • AI डाटा सेंटरों का अकेले 2030 तक वैश्विक बिजली खपत वृद्धि में 10% योगदान होने का अनुमान है।
  • विद्युत क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी 49% तक पहुँची, लेकिन सम्पूर्ण प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में यह केवल 14.8% है।
  • 2024 में स्वच्छ ऊर्जा निवेश $2 ट्रिलियन रहा — 2020 के मुकाबले दोगुना, लेकिन नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुसार आवश्यक $5.6 ट्रिलियन वार्षिक निवेश से बहुत कम।

असमान संक्रमण और असुरक्षा

  • केवल 28% देशों ने एक साथ ऊर्जा सुरक्षा, समानता और स्थिरता में प्रगति की।
  • उभरते बाजारों में पूंजी की लागत विकसित देशों की तुलना में सात गुना तक अधिक है, जिससे निवेश में असमानता बनी हुई है।
  • 2024 की ऐतिहासिक गर्मी और अफ्रीका, पश्चिम एशिया, यूरोप में चल रहे संघर्षों ने ऊर्जा सुरक्षा को सबसे कमजोर स्थिति में डाल दिया।

शीर्ष प्रदर्शनकर्ता और क्षेत्रीय रुझान

  • स्वीडन, फिनलैंड और डेनमार्क — शीर्ष स्थान पर, मजबूत नीति और विविध लो-कार्बन ऊर्जा प्रणालियों के कारण।
  • चीन — 12वें स्थान पर, दुनिया में सबसे बड़ा स्वच्छ ऊर्जा निवेशक।
  • भारत — ऊर्जा दक्षता और निवेश क्षमता में सुधार के साथ प्रगति।
  • अमेरिका — 17वें स्थान पर, मजबूत सुरक्षा और स्थिरता के साथ।
  • नाइजीरिया — 2016 में 109वें स्थान से 2025 में 61वें स्थान पर पहुंचा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ETI (Energy Transition Index) वैश्विक ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन को सुरक्षा, समानता और स्थिरता के आधार पर मापता है।
  • 2024 में CO2 उत्सर्जन 37.8 अरब टन के उच्चतम स्तर पर पहुंचा।
  • वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा निवेश का 90% हिस्सा विकसित देशों और चीन तक सीमित है।
  • नेट-ज़ीरो लक्ष्यों की पूर्ति के लिए 2030 तक हर वर्ष $5.6 ट्रिलियन निवेश आवश्यक है।

समाधान: रिपोर्ट की पाँच प्राथमिकताएँ

  1. स्थिर और अनुकूल नीतिगत ढांचे तैयार करना, जिससे दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहन मिले।
  2. बिजली ग्रिड, ऊर्जा भंडारण और इंटरकनेक्टर्स सहित अवसंरचना का आधुनिकीकरण।
  3. कौशल और प्रतिभा में निवेश — नवाचार को बढ़ावा और कार्यान्वयन को सशक्त बनाना।
  4. कठिन-से-न्यून करने योग्य क्षेत्रों में स्वच्छ तकनीकों का शीघ्र व्यावसायीकरण।
  5. विकासशील देशों में पूंजी प्रवाह बढ़ाना, ताकि ऊर्जा मांग के अनुरूप निवेश हो।

इस रिपोर्ट का निष्कर्ष स्पष्ट है: तकनीकी अवरोध नहीं, बल्कि वितरण की बाधाएँ — जैसे अनुमति प्रक्रियाओं में देरी, ग्रिड की भीड़भाड़ और कुशल श्रम की कमी — अब संक्रमण की राह में सबसे बड़ा रुकावट हैं। समय की मांग है कि योजनाएँ कागज़ों से निकलकर ज़मीन पर उतरें और पूंजी को सही दिशा में प्रवाहित किया जाए।

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