वेस्टर्न घाट में खोजा गया नया पौधा ‘इम्पेशन्स सेल्वासिंघी’: जैव विविधता संरक्षण में एक अनोखी उपलब्धि

पश्चिमी घाट की कुद्रेमुख पर्वतमाला में एक नई वनस्पति प्रजाति की खोज ने जैव विविधता और वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। मदुरै स्थित मदुरा कॉलेज के शोधकर्ताओं ने इस नई बॉल्सम प्रजाति को खोजा और इसे मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के वनस्पति विज्ञानी डॉ. पी. सेल्वा सिंह रिचर्ड के नाम पर ‘इम्पेशन्स सेल्वासिंघी’ नाम दिया। यह नामकरण डॉ. रिचर्ड के पश्चिमी घाट की दुर्लभ और संकटग्रस्त वनस्पतियों की प्रजनन जैविकी में किए गए महत्वपूर्ण शोध कार्य के सम्मान में किया गया है।
सबसे छोटी फूलों वाली बॉल्सम प्रजाति
‘इम्पेशन्स सेल्वासिंघी’ को पश्चिमी घाट की अब तक की सबसे छोटी फूलों वाली बॉल्सम प्रजाति माना जा रहा है। कुद्रेमुख की चोटी पर समुद्र तल से 1,630 मीटर की ऊँचाई पर यह प्रजाति देखी गई। शोधकर्ताओं ने इस नमूने को अंतरराष्ट्रीय जर्नल Taiwania में प्रकाशित किया, जिसमें इसे अन्य प्रजातियों से अलग दर्शाते हुए इसकी विशेषताओं को रेखांकित किया गया है — जैसे कि इसके पंखुड़ियों की विशेष रूप से खंडित बनावट।
यह पौधा न केवल आकार में अद्वितीय है, बल्कि यह छोटे कीटों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पराग स्रोत है। मदुरा कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. एस. करुप्पुसामी के अनुसार, यह प्रजाति अपने आकार और कीट-पौधा परस्पर क्रिया के कारण जैव पारिस्थितिकी में एक विशिष्ट स्थान रखती है।
प्रोफेसर पी. सेल्वा सिंह रिचर्ड: एक प्रेरणास्रोत
करीब दो दशकों से पश्चिमी घाट में वनस्पति अनुसंधान कर रहे प्रोफेसर पी. सेल्वा सिंह रिचर्ड ने छात्रों के साथ मिलकर कई प्रजातियों की खोज की और उनके संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने न केवल बॉल्सम प्रजातियों के प्रजनन व्यवहार पर काम किया, बल्कि उनके कीटों के साथ संबंधों को भी अध्ययन किया। उनके इस योगदान को देखते हुए, इस नई प्रजाति का नाम उनके सम्मान में रखा गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘इम्पेशन्स सेल्वासिंघी’ पश्चिमी घाट की सबसे छोटी फूलों वाली बॉल्सम प्रजाति है।
- भारत में Impatiens जाति की 280 से अधिक उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें 130 पश्चिमी घाट में स्थानिक (endemic) हैं।
- पश्चिमी घाट की लगभग 80% Impatiens प्रजातियाँ संकटग्रस्त मानी जाती हैं।
- यह नई प्रजाति कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के कुद्रेमुख ट्रेकिंग मार्ग में पाई गई है, जहाँ अत्यधिक पर्यटन से इसके अस्तित्व को खतरा हो सकता है।