वेनेज़ुएला के पास अमेरिका की नौसैनिक तैनाती: नया भू-राजनीतिक संकट
अमेरिका ने कैरिबियन क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को काफी हद तक बढ़ा दिया है, जिससे वेनेज़ुएला के साथ तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। पेंटागन के नेतृत्व में यह कदम 1962 की क्यूबा मिसाइल संकट के बाद क्षेत्र में सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य जमावड़ा माना जा रहा है। इस कदम की वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कड़ी आलोचना करते हुए अमेरिका पर युद्ध की भूमिका गढ़ने का आरोप लगाया है।
अमेरिका की भारी सैन्य तैनाती
अमेरिका ने वेनेज़ुएला के तट के पास कम से कम आठ नौसैनिक जहाज, एक पनडुब्बी और दस F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट तैनात किए हैं। इसके अलावा, अमेरिका का सबसे उन्नत विमानवाहक पोत ‘यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड’ भी क्षेत्र में पहुंच चुका है। इस पूरे सैन्य अभियान में लगभग 6,500 मरीन और नाविक तथा 3,500 अतिरिक्त सैनिक तैनात हैं। अमेरिका की ‘साउथकॉम’ कमान ने यूएसएस सैन एंटोनियो पर अमेरिकी मरीन द्वारा की जा रही लाइव-फायर अभ्यास की फुटेज भी जारी की है, जो इस तैनाती की गंभीरता को दर्शाता है।
मादक पदार्थ नियंत्रण या छद्म युद्ध?
अमेरिका ने इस सैन्य विस्तार को मादक पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण के उद्देश्य से उठाया गया कदम बताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तस्करी में उपयोग होने वाली नौकाओं पर हमले की अनुमति दी थी, जिसमें हाल ही में 10 नौकाएं नष्ट की गईं और 6 लोग मारे गए। इस तरह के अमेरिकी हमलों में अब तक कम से कम 43 लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह अभियान अपने घोषित उद्देश्य से परे जाकर सैन्य दमन का रूप ले रहा है।
कोलंबिया की नाराजगी और क्षेत्रीय असर
अमेरिका का पारंपरिक सहयोगी कोलंबिया भी इस ताजा सैन्य गतिविधि से असहज हो गया है। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिकी हमलों की तीखी आलोचना करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप पर “हत्या” का आरोप लगाया और देश में अमेरिकी सैन्य ठिकानों की उपस्थिति पर पुनर्विचार की बात कही है। कोलंबिया में अमेरिका के दो नौसेना अड्डे, तीन वायुसेना ठिकाने और दो थलसेना ठिकाने मौजूद हैं, जो संयुक्त निगरानी और उग्रवाद विरोधी अभियानों का संचालन करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूएसएस “जेराल्ड आर. फोर्ड” अमेरिका का सबसे उन्नत विमानवाहक पोत है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट और F-35 फाइटर जेट एकीकृत हैं।
- यह सैन्य तैनाती 1962 की क्यूबा मिसाइल संकट के बाद की सबसे बड़ी अमेरिकी तैनाती मानी जा रही है।
- वेनेज़ुएला ने चीन से लगभग 60 अरब डॉलर का ऋण लिया है, जिससे चीन उसका सबसे बड़ा ऋणदाता बन चुका है।
- 2024 में चीन और लैटिन अमेरिका के बीच व्यापार $518 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो क्षेत्र में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा की वापसी?
इस ताजा टकराव की पृष्ठभूमि में 2020 की “ऑपरेशन गिडियॉन” घटना की याद ताजा हो जाती है, जब वेनेज़ुएला ने अमेरिकी भाड़े के सैनिकों द्वारा कथित रूप से किए गए तख्तापलट प्रयास को विफल किया था। अब जबकि अमेरिका अपनी सैन्य उपस्थिति को फिर से बढ़ा रहा है और चीन क्षेत्र में आर्थिक पकड़ मजबूत कर रहा है, विशेषज्ञों को आशंका है कि लैटिन अमेरिका एक बार फिर शीत युद्ध जैसी वैश्विक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन सकता है।
यह स्थिति न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चुनौती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संतुलन और विश्व राजनीति के समीकरणों को भी गहराई से प्रभावित कर सकती है।