विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गर्भावस्था में सिकल सेल रोग के प्रबंधन के लिए पहली वैश्विक गाइडलाइन जारी की

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार गर्भवती महिलाओं में सिकल सेल रोग (SCD) के प्रबंधन के लिए वैश्विक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह पहल उस रोग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो मां और नवजात दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचंद्राकार आकार की हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और शरीर के कई हिस्सों में दर्द, संक्रमण, स्ट्रोक और अंग विफलता जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

गर्भावस्था में बढ़ते जोखिम और WHO की सिफारिशें

गर्भावस्था के दौरान शरीर की ऑक्सीजन और पोषण की मांग बढ़ने से सिकल सेल रोग की जटिलताएं और अधिक गंभीर हो जाती हैं। सिकल सेल रोग से ग्रस्त महिलाओं में मातृ मृत्यु की संभावना सामान्य महिलाओं की तुलना में 4 से 11 गुना अधिक होती है। साथ ही, समयपूर्व प्रसव, गर्भपात और नवजात मृत्यु जैसे जोखिम भी बढ़ जाते हैं।
WHO द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में 20 से अधिक सिफारिशें शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • फोलिक एसिड और आयरन सप्लीमेंटेशन, विशेष रूप से मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों के लिए समायोजन
  • सिकल सेल क्राइसिस का प्रबंधन और दर्द से राहत
  • संक्रमण और रक्त थक्कों की रोकथाम
  • आवश्यकतानुसार निवारक रक्त चढ़ाना
  • गर्भावस्था के दौरान माँ और बच्चे की नियमित निगरानी

इस गाइडलाइन में महिलाओं की व्यक्तिगत जरूरतों, उनके स्वास्थ्य इतिहास और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए सम्मानजनक और व्यक्तिगत देखभाल पर बल दिया गया है। WHO ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य प्रणाली में सिकल सेल रोग से ग्रसित लोगों को अक्सर भेदभाव और उपेक्षा का सामना करना पड़ता है, जिसे दूर करना भी आवश्यक है।

भारत में सिकल सेल रोग: सरकारी प्रयास

भारत में यह रोग विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में व्यापक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया था, जिसका उद्देश्य 2047 तक इस रोग का समूल नाश करना है। इस अभियान के अंतर्गत 40 वर्ष तक की उम्र के 7 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी।
विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर सरकार ने ₹10 करोड़ के अनुदान की घोषणा की है, जिसका उपयोग सिकल सेल रोग की दवा विकसित करने के लिए किया जाएगा। वर्तमान में इस रोग के लिए केवल एक ही दवा उपलब्ध है और वह भी गर्भावस्था जैसी विशेष स्थितियों में सीमित उपयोग की जा सकती है। इस नई पहल के अंतर्गत AIIMS-दिल्ली के सहयोग से एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी और चुने गए प्रस्ताव को ₹10 करोड़ तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सिकल सेल रोग के कारण हर वर्ष 3.75 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है।
  • 2000 के बाद से दुनिया भर में SCD मामलों की संख्या में 40% से अधिक वृद्धि हुई है।
  • यह रोग मुख्य रूप से मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों जैसे उप-सहारा अफ्रीका, मध्य पूर्व, कैरेबियन और दक्षिण एशिया में पाया जाता है।
  • भारत सरकार ने 2047 तक सिकल सेल रोग उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और ₹10 करोड़ का अनुसंधान अनुदान घोषित किया है।
  • AIIMS-दिल्ली में आदिवासी स्वास्थ्य एवं अनुसंधान संस्थान स्थापित किया जाएगा।

निष्कर्ष

WHO की यह नई गाइडलाइन और भारत सरकार की रणनीतिक पहलें सिकल सेल रोग के प्रबंधन और उन्मूलन की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती हैं। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए रोग का समय पर निदान, सटीक उपचार और संवेदनशील देखभाल आवश्यक है। साथ ही, अनुसंधान, शिक्षा और जन-जागरूकता के माध्यम से इस उपेक्षित रोग को वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे में प्राथमिकता देना अब समय की माँग है।

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