विश्व बैंक की आय वर्गीकरण प्रणाली: कैसे होती है देशों की आय के आधार पर श्रेणीबद्धता?

जब हम किसी देश को ‘धनी’ या ‘गरीब’ कहते हैं, तो उसका मतलब कई तरह से हो सकता है। लेकिन शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के लिए देशों की तुलना करने के लिए एक स्पष्ट, मानकीकृत पद्धति होना ज़रूरी है। इसी उद्देश्य से विश्व बैंक हर साल अपने आय वर्गीकरण प्रणाली के तहत दुनिया के देशों को चार समूहों में बांटता है: निम्न आय, निम्न-मध्यम आय, उच्च-मध्यम आय, और उच्च आय वाले देश।
यह वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
इस वर्गीकरण का आधार है प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI per capita)। GNI में देशवासियों की औसत आय शामिल होती है, जिसमें विदेशों से अर्जित आय भी गिनी जाती है। चूंकि देश अपनी GNI स्थानीय मुद्रा में रिपोर्ट करते हैं, इसलिए विश्व बैंक इसे डॉलर में बदलने के लिए विनिमय दरों का उपयोग करता है।
इसके बाद प्रत्येक देश को GNI प्रति व्यक्ति के आधार पर चार समूहों में रखा जाता है:
- निम्न आय: $1,135 या उससे कम
- निम्न-मध्यम आय: $1,136 से $4,495
- उच्च-मध्यम आय: $4,496 से $13,935
- उच्च आय: $13,935 से अधिक
वर्गीकरण की पृष्ठभूमि
इस प्रणाली की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी, जब विश्व बैंक अपनी उधारी नीति को बेहतर ढंग से लागू करना चाहता था। उस समय GNI का उपयोग यह तय करने के लिए किया जाता था कि कौन से देश रियायती कर्ज के पात्र हैं। आज यह वर्गीकरण विश्व बैंक की ऋण नीतियों से जुड़ा नहीं है, लेकिन इसका उपयोग व्यापक आर्थिक विश्लेषण और अंतर्राष्ट्रीय तुलना में किया जाता है।
वर्गीकरण में बदलाव कैसे होता है?
देशों की GNI, विनिमय दर और जनसंख्या में बदलाव के कारण उनकी श्रेणी बदल सकती है। अगर किसी देश की GNI निर्धारित सीमा को पार कर जाती है, तो वह अगले अपडेट में एक नई आय श्रेणी में चला जाता है।
उदाहरण:
- सीरिया और यमन: 2017 में युद्ध और आर्थिक संकट के कारण ये दोनों देश निम्न-मध्यम आय से गिरकर निम्न आय वर्ग में आ गए।
विश्व की जनसंख्या और आय वर्गीकरण
हालांकि यह चार आय वर्ग समान रूप से विभाजित लगते हैं, लेकिन वास्तविक जनसंख्या वितरण असमान है।
- 2004 में: 37% जनसंख्या निम्न-आय देशों में रहती थी।
- 2024 में: यह घटकर 10% से भी कम रह गई है।
- वहीं, उच्च-मध्यम आय वाले देशों में रहने वाली जनसंख्या का हिस्सा 10% से बढ़कर 35% हो गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- विश्व बैंक हर साल GNI आधारित आय वर्गीकरण करता है।
- GNI में विदेशों से होने वाली आय भी शामिल होती है।
- यह प्रणाली मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए हर साल अद्यतन की जाती है।
- श्रेणियाँ सापेक्ष नहीं, बल्कि निर्धारित सीमा पर आधारित होती हैं — यानी, अन्य देशों की प्रगति इस पर असर नहीं डालती।
- पिछले दो दशकों में अधिकांश देशों ने आय के स्तर में सुधार किया है, लेकिन युद्ध और संकट के दौरान गिरावट भी हुई है।