विश्व के सबसे गरीब देशों के लिए भारत का ड्यूटी-फ्री टैरिफ स्कीम बना वैश्विक उदाहरण
भारत ने विकासशील देशों में अग्रणी साझेदार के रूप में अपनी भूमिका और भी सशक्त करते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) के ढांचे के तहत सबसे गरीब देशों (Least Developed Countries – LDCs) को दी जाने वाली बाजार पहुंच में चीन और यूरोपीय संघ को पीछे छोड़ दिया है। WTO की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ड्यूटी-फ्री टैरिफ प्रेफरेंस (DFTP) योजना अब 94.1% टैरिफ लाइनों को कवर करती है, जो इसे किसी भी विकासशील देश द्वारा दी जाने वाली सबसे व्यापक पहुंच बनाती है।
DFTP योजना: दक्षिण-दक्षिण सहयोग की मिसाल
2008 में शुरू की गई यह योजना भारत की ‘पड़ोसी पहले’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के अनुरूप है और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
- यह योजना कॉफी, चाय, चमड़ा, वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे LDC देशों के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को कवर करती है, जिससे उन्हें वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में प्रभावी भागीदारी का अवसर मिलता है।
- WTO की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने इन देशों को औसतन 15.1 प्रतिशत अंकों की तरजीही छूट दी है, जो कृषि उत्पादों के मामले में बढ़कर 29.7 प्रतिशत तक पहुँच जाती है।
भारत: LDC देशों के लिए प्रमुख निर्यात गंतव्य
2024 में भारत LDC देशों के लिए पाँचवां सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन चुका है, जहां इन देशों के कुल निर्यात का 6.8% हिस्सा आता है। WTO रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में LDC देशों से भारत को कुल 21.5 अरब डॉलर का आयात हुआ, जिसमें खनिज, कृषि वस्तुएं और वस्त्र प्रमुख रूप से शामिल रहे।
- चीन (25%), यूरोपीय संघ (17%), संयुक्त अरब अमीरात (12%) और अमेरिका (9%) ही भारत से ऊपर हैं।
- यह व्यापार न केवल इन देशों की अर्थव्यवस्था को सशक्त करता है, बल्कि भारत की घरेलू उद्योग आवश्यकताओं को भी पूरा करता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- WTO की रिपोर्ट का शीर्षक है: Market Access for Products and Services of Export Interest to Least Developed Countries।
- DFTP योजना 2008 में भारत द्वारा शुरू की गई थी, और यह अब तक 30 से अधिक देशों को कवर करती है।
- WTO के अनुसार, भारत की DFTP योजना ने विशेषकर एशिया और अफ्रीका के LDC देशों के निर्यात को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा दिया है।
- भारत का यह मॉडल संसाधनों पर आधारित नहीं, बल्कि सहयोग और साझा विकास पर केंद्रित है, जिससे यह चीन के मॉडल से अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
भारत की DFTP योजना वैश्विक दक्षिण (Global South) में भारत की भूमिका को केवल एक व्यापारिक साझेदार तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे एक विश्वासनीय विकास सहयोगी के रूप में स्थापित करती है।