विशाखापट्टनम के तट पर दुर्लभ स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन की दुर्लभ उपस्थिति

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम तट पर हाल ही में स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन की एक टोली देखी गई, जो इस क्षेत्र में दुर्लभ मानी जाती है। यह दृश्य मुथ्यालम्मपालेम के मछुआरे मसेनु ने अपने नियमित मछली पकड़ने के दौरान वीडियो में कैद किया। यह घटना न केवल जैव विविधता के प्रति उत्सुकता बढ़ाने वाली है, बल्कि यह पूर्वी तट पर समुद्री जीवों के अभिलेख और संरक्षण की आवश्यकता को भी उजागर करती है।

स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन: आंध्र के जल में एक असामान्य दृश्य

ईस्ट कोस्ट कंज़र्वेशन टीम (ECCT) की प्रियंका वेदुला ने स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन की पहचान की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि विशाखापट्टनम के तट पर अक्सर हंपबैक डॉल्फ़िन देखी जाती हैं, जिन्हें किनारे से भी देखा जा सकता है। स्पिनर और स्पॉटेड डॉल्फ़िन भी इन जल क्षेत्रों में मौजूद हैं, लेकिन वे अक्सर गहरे समुद्र में पाए जाते हैं। स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन का यहां पाया जाना दुर्लभ माना जाता है, क्योंकि इसके पूर्व में पर्याप्त रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं।
प्रियंका के अनुसार, मछुआरे जब ट्यूना मछलियों की तलाश में गहरे समुद्र में जाते हैं, तब स्पिनर, स्ट्राइप्ड और स्पॉटेड डॉल्फ़िन एक साथ देखे जा सकते हैं। हालांकि, इन दृश्यों की रिपोर्टिंग अक्सर वैज्ञानिकों या सार्वजनिक रिकॉर्ड तक नहीं पहुंच पाती।

समुद्री जैव विविधता का अभाव नहीं, बल्कि डेटा का

पूर्वी तट — विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल — में समुद्री स्तनधारियों पर सीमित शोध और दस्तावेज़ीकरण हुआ है। प्रियंका ने बताया कि “हमारे पास यह मूल्यांकन करने के लिए आधारभूत डेटा ही नहीं है कि इन जीवों की आबादी बढ़ रही है या घट रही है। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में भी इस क्षेत्र को कम दस्तावेजीकृत माना गया है।”
इस खाई को भरने के लिए ECCT मछुआरों और अन्य स्थानीय हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है, ताकि जागरूकता बढ़ाई जा सके और जब डॉल्फ़िन देखी जाएं या किनारे पर पाई जाएं, तो सही प्रोटोकॉल का पालन किया जा सके। इस नेटवर्क के माध्यम से हालिया वीडियो साझा किया गया, जिससे पता चलता है कि यह जानकारी नियमित रूप से वैज्ञानिक समुदाय तक नहीं पहुंचती।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन (Stenella coeruleoalba) आमतौर पर गहरे समुद्री जल में पाई जाती है और विशाखापट्टनम के तटीय जल में इसका देखा जाना दुर्लभ घटना है।
  • भारत में समुद्री स्तनधारियों की निगरानी और संरक्षण के लिए ‘Marine Mammal Research and Conservation Network of India’ जैसी संस्थाएं कार्यरत हैं।
  • स्पिनर, हंपबैक, स्पॉटेड और स्ट्राइप्ड डॉल्फ़िन भारतीय तटों पर देखे जाने वाले प्रमुख डॉल्फ़िन प्रजातियां हैं।
  • 180 वर्षों बाद विशाखापट्टनम के तट पर एक सी-स्लग प्रजाति देखी गई, जो क्षेत्र की अज्ञात जैव विविधता का संकेत देती है।

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