वियतनाम और इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात की तैयारी में भारत

वियतनाम और इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात की तैयारी में भारत

भारत दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी रक्षा कूटनीति को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के निर्यात के लिए भारत महत्वपूर्ण समझौतों की अंतिम रूपरेखा की ओर बढ़ रहा है। इन प्रस्तावित सौदों का संयुक्त मूल्य ₹4,000 करोड़ से अधिक है, जो भारत की उन्नत हथियार प्रणालियों को मित्र देशों को निर्यात करने की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। यह कदम भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

रूस की सहमति से निर्यात का रास्ता साफ

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है, इसलिए किसी तीसरे देश को निर्यात के लिए रूस की अनुमति अनिवार्य है। हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलूसोव के बीच एक प्रतिनिधि-स्तरीय बैठक में रूस ने स्पष्ट कर दिया कि उसे वियतनाम और इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल देने में कोई आपत्ति नहीं है। अब रूस से औपचारिक ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ मिलने की प्रतीक्षा है, जिसके बाद अंतिम अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जा सकेंगे।

दक्षिण चीन सागर में रणनीतिक सन्दर्भ

वियतनाम और इंडोनेशिया को यह मिसाइल ऐसे समय में दी जा रही है जब दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियाँ बढ़ती जा रही हैं। इन देशों पर लगातार रणनीतिक दबाव है। भारत पहले ही जनवरी 2022 में फिलीपींस को तीन ब्रह्मोस कोस्टल डिफेंस बैटरियों के लिए $375 मिलियन का अनुबंध दे चुका है। फिलीपींस निकट भविष्य में और ऑर्डर दे सकता है। अब वियतनाम और इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली अपनाने वाले दूसरे और तीसरे आसियान देश बन सकते हैं।

ब्रह्मोस की क्षमताएँ और भारत का अनुभव

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जो मैक 2.8 की गति से उड़ान भर सकती है और इसकी रेंज अब लगभग 450 किलोमीटर तक बढ़ा दी गई है। इसे सुखोई-30MKI जैसे फाइटर जेट्स के साथ सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है और हाल ही में इसे “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान गहरे निशाने पर प्रहार के लिए प्रयोग किया गया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने अब तक ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ ₹60,000 करोड़ से अधिक के अनुबंध किए हैं, जिससे यह भारत की पारंपरिक स्ट्राइक क्षमता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

• ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
• यह मिसाइल लगभग मैक 2.8 की गति से उड़ सकती है और इसकी रेंज अब 450 किमी तक है।
• फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने वाला पहला विदेशी देश बना था (2022)।
• भारत 2028 तक ब्रह्मोस मिसाइल का 800 किमी रेंज वाला संस्करण भी शामिल करने की योजना बना रहा है।

भारत न केवल ब्रह्मोस बल्कि आकाष वायु रक्षा प्रणाली और पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम जैसे अन्य रक्षा उपकरणों का भी निर्यात कर रहा है। वियतनाम, इंडोनेशिया, यूएई और ब्राज़ील जैसे देशों को यह तकनीक दी जा रही है। वर्ष 2024–25 में भारत ने लगभग ₹24,000 करोड़ के रक्षा उपकरणों का निर्यात किया है, जो इसके वैश्विक रक्षा विनिर्माण क्षमता की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है। यह भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में मजबूत कदम है।

Originally written on December 23, 2025 and last modified on December 23, 2025.

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