विदेशी फंडिंग पर सख्ती: प्रकाशन से जुड़ी NGOs के लिए नए नियम, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

गृह मंत्रालय (MHA) ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के तहत गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), विशेष रूप से प्रकाशन से जुड़ी संस्थाओं के लिए विदेशी फंडिंग नियमों को और सख्त कर दिया है। 27 मई 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार, अब ऐसे NGOs को न केवल व्यापक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, बल्कि समाचार सामग्री का प्रसार न करने का प्रमाणपत्र भी अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रमुख बदलाव: “न्यूज कंटेंट” के लिए सख्त प्रमाणन
प्रकाशन से जुड़े या जिनके उद्देश्य में प्रकाशन शामिल हो, ऐसे NGOs को अब यह प्रमाण देना होगा कि वे किसी प्रकार की समाचार सामग्री का प्रसार नहीं करते। यदि उनका प्रकाशन रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर्स फॉर इंडिया (RNI) में पंजीकृत है, तो उन्हें RNI से “नॉट ए न्यूज़पेपर” प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
तीन वर्षों के वित्तीय विवरण अनिवार्य
FCRA पंजीकरण की मांग करने वाले NGOs को अब पिछले तीन वित्तीय वर्षों के वित्तीय विवरण, लेखा परीक्षाएं, परिसंपत्तियों और देनदारियों का विवरण, प्राप्तियों और भुगतान खाते, और आय-व्यय लेखा प्रस्तुत करना होगा। यदि इन रिपोर्टों में गतिविधि-वार व्यय नहीं दर्शाया गया है, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित व्यय सारणी अनिवार्य होगी।
FATF दिशा-निर्देशों का पालन
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि NGOs को आतंक वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के ‘गुड प्रैक्टिस गाइडलाइंस’ का पालन करना होगा।
दाता से प्रतिबद्धता पत्र और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अनिवार्य
अब NGOs को विदेशी दाता से प्रतिबद्धता पत्र देना होगा जिसमें उल्लिखित राशि, परियोजना व्यय की विस्तृत रिपोर्ट और यह घोषणा हो कि प्रशासनिक खर्च कुल विदेशी अंशदान का 20% से अधिक नहीं होगा।
न्यूनतम उद्देश्य आवश्यकता
सरकार ने दोहराया कि कोई भी NGO जो विदेशी योगदान प्राप्त करना चाहता है, उसका निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम होना अनिवार्य है। बिना केंद्रीय पंजीकरण या अनुमति के कोई भी संस्था विदेशी अंशदान न प्राप्त कर सकती है और न ही उपयोग कर सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- FCRA (Foreign Contribution Regulation Act): 2010 में लागू यह कानून भारत में विदेशी फंडिंग को नियंत्रित करता है।
- RNI (Registrar of Newspapers for India): भारत सरकार का निकाय जो समाचार पत्रों और प्रकाशनों का पंजीकरण करता है।
- FATF: अंतरराष्ट्रीय संस्था जो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर निगरानी रखती है।
- प्रशासनिक व्यय सीमा: FCRA के तहत विदेशी अंशदान का केवल 20% तक ही प्रशासनिक खर्च के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- “Not a Newspaper” प्रमाणपत्र: यह प्रमाण पत्र सुनिश्चित करता है कि संबंधित प्रकाशन कोई समाचार सामग्री प्रकाशित नहीं करता, जिससे FCRA की शर्तों का उल्लंघन न हो।
गृह मंत्रालय के इस कदम से विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले NGOs के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि होगी। विशेष रूप से प्रकाशन से जुड़ी संस्थाओं के लिए यह सख्ती यह सुनिश्चित करेगी कि वे मीडिया और जनमत निर्माण में विदेशी प्रभाव से मुक्त रहें। यह निर्णय देश की आंतरिक सुरक्षा, सूचनात्मक स्वतंत्रता और वित्तीय निगरानी के लिहाज से एक महत्वपूर्ण नीति सुधार माना जा रहा है।