विदेशी न्यायाधिकरणों को मिला न्यायिक मजिस्ट्रेट का दर्जा: क्या है नया प्रवासन और विदेशी आदेश 2025?

1 सितंबर 2025 को गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा अधिसूचित “प्रवासन और विदेशी आदेश, 2025” ने भारत की विदेशी नागरिकता से जुड़ी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव किया है। यह नया आदेश विशेष रूप से असम में लागू विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners Tribunals) को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदान करता है, जिससे अवैध प्रवासियों की पहचान, रोकथाम और कार्रवाई का ढांचा और भी सशक्त हो गया है।
क्या हैं विदेशी न्यायाधिकरण (FT)?
विदेशी न्यायाधिकरण वे न्यायिक निकाय हैं जो यह तय करते हैं कि कोई व्यक्ति “विदेशी” है या नहीं। अभी तक ये केवल असम में ही सक्रिय थे, जहाँ NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स) के कार्यान्वयन के बाद 100 से अधिक न्यायाधिकरण संचालित हो रहे हैं। NRC की अंतिम सूची 2019 में प्रकाशित हुई थी जिसमें 19 लाख लोग बाहर रह गए थे।
नया आदेश 2025: क्या बदला?
2025 का नया आदेश 1964 के पुराने “Foreigners (Tribunal) Order” को प्रतिस्थापित करता है और इसमें कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं:
- FT को न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार: अब ये ट्राइब्यूनल गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकते हैं यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति पेश नहीं होता।
- सबूत प्रस्तुत न करने पर हिरासत: यदि कोई यह सिद्ध नहीं कर पाता कि वह भारतीय नागरिक है, तो उसे डिटेंशन या होल्डिंग सेंटर में भेजा जा सकता है।
- सदस्य संख्या की सीमा: अब किसी भी ट्राइब्यूनल में अधिकतम 3 सदस्य ही होंगे।
- Ex-Parte आदेशों की समीक्षा: यदि कोई व्यक्ति अनुपस्थित रहता है और उसके खिलाफ आदेश दिया जाता है, तो वह 30 दिनों के भीतर पुनरीक्षण याचिका दायर कर सकता है।
- देशव्यापी लागू लेकिन कार्यरत केवल असम में: आदेश पूरे भारत में लागू है, परंतु FT फिलहाल सिर्फ असम में कार्य कर रहे हैं।
नई सख्ती और निगरानी
- गंभीर अपराधों में शामिल विदेशी भारत में प्रवेश से वंचित: राष्ट्रविरोधी गतिविधियों, आतंकवाद, मानव तस्करी, साइबर अपराध आदि में लिप्त पाए गए विदेशियों को भारत में प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- बिना अनुमति विदेशी नहीं कर सकेंगे निजी क्षेत्र में काम: ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, मानवाधिकार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी काम पर नहीं रखे जा सकेंगे जब तक केंद्र की अनुमति न हो।
- सीमा सुरक्षा बल और तटरक्षक की भूमिका: अवैध प्रवासियों को भारत में घुसने से रोकने के लिए उनकी बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय जानकारी रिकॉर्ड कर उन्हें वापस भेजा जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स): असम में लागू की गई नागरिकता पहचान प्रक्रिया, 2019 में अंतिम सूची प्रकाशित हुई थी।
- FT (Foreigners Tribunals): भारत में विशेष रूप से असम में कार्यरत न्यायाधिकरण जो यह निर्धारित करते हैं कि कोई व्यक्ति विदेशी है या नहीं।
- Illegal Migrants (Determination by Tribunals) Act, 1983: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2005 में रद्द किया गया, जिसके बाद IMDT को FT में बदला गया।
- प्रवासन और विदेशी अधिनियम, 2025: संसद द्वारा अप्रैल 2025 में पारित, जिससे चार पुराने कानूनों को निरस्त किया गया।
नए आदेश के तहत भारत अब अवैध प्रवास को नियंत्रित करने के लिए अधिक कठोर और संरचित व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। यह कदम विशेष रूप से असम जैसे सीमावर्ती राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकता की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि यह आदेश देशभर में लागू है, लेकिन इसके व्यावहारिक पहलू असम के अनुभवों से ही आकार लेते दिखाई दे रहे हैं।