विकसित भारत की शक्ति: महिला कार्यबल भागीदारी के माध्यम से ‘नारी शक्ति’ का उदय

विकसित भारत की शक्ति: महिला कार्यबल भागीदारी के माध्यम से ‘नारी शक्ति’ का उदय

कल्पना कीजिए एक ऐसे भारत की, जहाँ हर महिला—चाहे वह ग्रामीण कारीगर हो या शहरी नवप्रवर्तक—सिर्फ कार्यबल में भागीदार नहीं, बल्कि आर्थिक परिवर्तन की अग्रदूत हो। यही है ‘विकसित भारत @2047’ का विज़न, जिसमें नारी शक्ति को केंद्र में रखकर शिक्षा, कौशल, सुरक्षा और उद्यमिता के माध्यम से महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है।

महिला कार्यबल भागीदारी में ऐतिहासिक वृद्धि

पिछले कुछ वर्षों में भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) और कार्यरत जनसंख्या अनुपात (WPR) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 2017-18 में जहां LFPR 23.3% था, वह 2023-24 में बढ़कर 41.7% हो गया। इसी अवधि में महिलाओं का WPR 22% से बढ़कर 40.3% हो गया। अगस्त 2025 में महिला WPR 32.0% और LFPR 33.7% रहा, जो लगातार सुधार को दर्शाता है।
EPFO के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में 26.9 लाख महिला सब्सक्राइबर्स औपचारिक रोजगार से जुड़ीं। जुलाई 2025 में 2.80 लाख नई महिला सदस्य EPFO से जुड़ीं, जिससे महिला रोजगार में विविधता और समावेशन का संकेत मिलता है।

BRICS देशों में भारत का नेतृत्व

वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2015 से 2024 के बीच भारत ने BRICS देशों में महिला श्रम भागीदारी में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की है—23% से अधिक की वृद्धि। जबकि ब्राज़ील, चीन और रूस में यह दर या तो स्थिर रही या घटी है। यह परिवर्तन केंद्रित नीति प्रयासों, कौशल विकास, क्रेडिट पहुंच और औपचारिक रोजगार के अवसरों के विस्तार का परिणाम है।

महिलाओं के लिए मज़बूत कानूनी ढांचा

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (संशोधित 2017): मातृत्व अवकाश 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है। 50 से अधिक कर्मचारियों वाले संस्थानों में क्रेच की स्थापना अनिवार्य है। यह अधिनियम अब सरोगेसी माताओं को भी शामिल करता है।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 (POSH): हर संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य है। यह अधिनियम महिलाओं को सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करता है, जिससे उनकी कार्यबल भागीदारी बढ़ती है।
समान वेतन अधिनियम, 1976: समान कार्य के लिए समान वेतन की गारंटी देता है। BRICS रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत का स्थान 120वां है, जो वैश्विक स्तर पर वेतन समानता की दिशा में प्रगति को दर्शाता है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: मातृत्व, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा लाभ सभी श्रमिकों—विशेषकर असंगठित और प्लेटफॉर्म वर्कर्स—को उपलब्ध कराता है।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल स्थितियां संहिता, 2020: महिलाओं को सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करता है, रात्रिकालीन काम के लिए सुरक्षा उपाय और परिवहन की अनिवार्यता को निर्देशित करता है।

महिला अनुकूल पहलें

SHe-Box: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली, जो शिकायतों की निगरानी और निपटान को पारदर्शी बनाती है।
मिशन शक्ति: महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण और पुनर्वास हेतु एक समग्र योजना जिसमें दो खंड हैं—‘संबल’ और ‘समर्थ्य’। इसके अंतर्गत वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, नारी अदालतें, शक्ति सदन, सखी निवास, पालन योजना, और पीएम मातृ वंदना योजना जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत की महिला LFPR 2023-24 में 41.7% रही।
  • मिशन शक्ति 1 अप्रैल 2024 से लागू की गई थी।
  • POSH अधिनियम 2013 में लागू हुआ और ICC व LCC का गठन अनिवार्य किया गया।
  • भारत ने BRICS देशों में महिला श्रम भागीदारी में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की है (2015-2024 में 23%)।
Originally written on October 15, 2025 and last modified on October 15, 2025.

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