वाराणसी में भूटानी मठ निर्माण: भारत-भूटान की आध्यात्मिक साझेदारी का नया अध्याय
भारत ने भूटान के साथ अपनी गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को दर्शाते हुए वाराणसी में एक भूटानी मठ और अतिथि गृह के निर्माण के लिए भूमि देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा थिम्फू में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक के 70वें जन्मदिन समारोह के अवसर पर की। यह पहल भारत और भूटान के बीच बौद्धिक और सांस्कृतिक संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने का प्रतीक मानी जा रही है।
गंगा तट पर बनेगा भूटानी आध्यात्मिक केंद्र
प्रस्तावित मठ वाराणसी में गंगा नदी के तट के समीप बनाया जाएगा, जो भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। यह केंद्र ध्यान, धर्मचर्चा और सांस्कृतिक संवाद का स्थान होगा, जहाँ भूटानी भिक्षु और तीर्थयात्री अपने धार्मिक अभ्यास कर सकेंगे। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने इसे “विश्वास का ऐसा पुल बताया जो भारत के आध्यात्मिक हृदय को भूटान की आत्मा से जोड़ता है।” इस परियोजना को दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक संबंधों की पुनर्पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
‘पड़ोसी प्रथम नीति’ का सशक्त उदाहरण
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भूमि अनुदान भारत की “Neighbourhood First” नीति की भावना और साझा बौद्ध विरासत का प्रतिबिंब है। इस मठ के निर्माण से भारत और भूटान के लोगों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क, धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों में वृद्धि होगी। यह पहल विश्वास-आधारित कूटनीति के माध्यम से परस्पर समझ और सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नये द्विपक्षीय समझौते और विकास परियोजनाएँ
इस घोषणा के साथ भारत और भूटान ने कई अन्य अहम परियोजनाओं पर भी सहमति जताई। भारत ने भूटान को 4,000 करोड़ रुपये की ऋण सहायता दी है, जो उसके विकास कार्यों को गति देगी। प्रधानमंत्री मोदी और राजा वांगचुक ने 1,020 मेगावाट के पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया और लंबे समय से रुकी पुनात्सांगछू-I परियोजना को फिर शुरू करने पर सहमति जताई। इसके अलावा दोनों देशों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा, मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान और चिकित्सा प्रशिक्षण से जुड़े तीन नए समझौते भी किए गए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भूटानी मठ वाराणसी में गंगा नदी के तट पर बनाया जाएगा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा नवंबर 2025 में भूटान दौरे के दौरान की।
- भारत ने भूटान को विकास परियोजनाओं के लिए 4,000 करोड़ रुपये की ऋण सहायता दी।
- 1,020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन इसी अवसर पर हुआ।
साझा बौद्ध विरासत का प्रतीक
यह मठ भारत-भूटान संबंधों में एक आध्यात्मिक आयाम जोड़ता है, जो दोनों देशों के आर्थिक और विकासात्मक सहयोग को संतुलित करता है। भूटान में चल रहे “ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल” के दौरान भारत ने भगवान बुद्ध की पवित्र अवशेष भूटान को सार्वजनिक दर्शन के लिए भेजे, जिससे इस धार्मिक संबंध को और मजबूती मिली। यह समग्र पहल दक्षिण एशिया में शांति, विश्वास और सांस्कृतिक निरंतरता के प्रति भारत और भूटान की साझा प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करती है।