‘वायु समन्वय-II’ सैन्य अभ्यास: भारतीय सेना का आधुनिक युद्ध क्षमता की ओर महत्वपूर्ण कदम
भारतीय सेना ने दक्षिणी कमान के अंतर्गत रेगिस्तानी क्षेत्र में ‘वायु समन्वय-II’ नामक एक व्यापक ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सैन्य अभ्यास का सफल आयोजन किया। यह अभ्यास 28 से 29 अक्टूबर 2025 के बीच आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य अगली पीढ़ी के युद्ध परिदृश्यों में ऑपरेशनल तैयारियों का परीक्षण करना और हवाई व स्थलीय युद्ध तत्वों के बीच तालमेल को सुदृढ़ करना था।
अगली पीढ़ी की युद्ध क्षमताओं का परीक्षण
‘वायु समन्वय-II’ को वास्तविक युद्धक्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार डिज़ाइन किया गया था, जिसमें ड्रोन संचालन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और बहु-क्षेत्रीय समन्वय को केंद्र में रखा गया। इस अभ्यास में सेना ने विभिन्न हवाई और ज़मीनी संसाधनों का एकीकृत उपयोग करते हुए जटिल और प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में कमांड और नियंत्रण प्रणालियों की प्रभावशीलता को परखा।
यह पहल भारतीय सेना की आधुनिक तकनीकों को अपनाकर सामरिक और रणनीतिक प्रतिक्रियाओं को सशक्त बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
समन्वय और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन
इस अभ्यास में सेना की विभिन्न शाखाओं के बीच प्रभावी समन्वय देखने को मिला, जो जटिल भौगोलिक क्षेत्रों में तकनीक-सक्षम अभियानों को अंजाम देने की क्षमता को दर्शाता है। सैनिकों ने स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों का सफल परीक्षण किया, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत भारतीय सेना की स्वावलंबन की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।
ऐसे अभ्यास भविष्य के युद्धों के लिए लचीलापन और अनुकूलन क्षमता को विकसित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘वायु समन्वय-II’ सैन्य अभ्यास 28–29 अक्टूबर 2025 को रेगिस्तानी क्षेत्र में आयोजित हुआ।
- यह अभ्यास भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के तत्वावधान में आयोजित किया गया।
- इसका मुख्य उद्देश्य ड्रोन, काउंटर-ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का समन्वय था।
- लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने इस अभ्यास की प्रशंसा करते हुए इसे क्षमता विकास में सहायक बताया।
भविष्य के युद्धों के लिए तकनीक-आधारित सेना का निर्माण
रक्षा मंत्रालय ने इस अभ्यास को भारतीय सेना के एक आधुनिक, लचीले और तकनीक-प्रेरित बल के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। इसमें ड्रोन युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और रीयल-टाइम निगरानी जैसी उन्नत तकनीकों का समावेश किया गया, जो बदलते सुरक्षा परिदृश्य के अनुरूप सेना की रणनीतियों को सशक्त बनाते हैं।