वायु प्रदूषण बना भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण: SoGA 2025 रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
हवा में ज़हर घुल चुका है — और इसके परिणामस्वरूप भारत में 2023 में दो मिलियन यानी 20 लाख लोगों की जान चली गई। अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (IHME) द्वारा जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) 2025 रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। यह संख्या वर्ष 2000 के 14 लाख मौतों की तुलना में 43% अधिक है और भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
गैर-संचारी रोगों पर प्रदूषण का असर
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली 89% मौतें अब गैर-संचारी रोगों (NCDs) से जुड़ी हैं, जिनमें दिल की बीमारी, फेफड़ों का कैंसर, मधुमेह और अब डिमेंशिया तक शामिल हैं। खास बात यह है कि इन बीमारियों से मरने वालों में अधिकांश बुजुर्ग हैं, जिससे वृद्ध आबादी के लिए खतरा और बढ़ गया है।
- वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर 1 लाख लोगों पर 186 मौतें होती हैं, जबकि विकसित देशों में यह दर केवल 17 है।
- COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज) से होने वाली मौतों में से 70% वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं।
- दिल की बीमारी से हर चौथी मौत, और फेफड़ों के कैंसर से हर तीसरी मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है।
डिमेंशिया: वायु प्रदूषण का नया घातक चेहरा
इस रिपोर्ट की एक नई और चौंकाने वाली बात यह है कि डिमेंशिया को अब वायु प्रदूषण से जुड़े एक प्रमुख स्वास्थ्य प्रभाव के रूप में पहचाना गया है। 2023 में वायु प्रदूषण ने विश्व स्तर पर 626,000 डिमेंशिया मौतों में योगदान दिया, जिनमें से भारत में 54,000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। दीर्घकालिक PM2.5 कणों के संपर्क से मस्तिष्क कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और याद्दाश्त कमजोर होने लगती है।
डिमेंशिया से पीड़ितों में महिलाएं अधिक हैं, और साथ ही वे प्राथमिक देखभालकर्ता भी होती हैं — जिससे यह सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर दोहरा संकट बन जाता है।
प्रदूषण और क्षेत्रीय विषमता
भारत के जिन राज्यों में वायु प्रदूषण से मौतों की संख्या सबसे अधिक रही, वे हैं:
- महाराष्ट्र
- उत्तर प्रदेश
- राजस्थान
- बिहार
- पश्चिम बंगाल
इनमें प्रत्येक राज्य में 2023 में 1 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गईं। रिपोर्ट के अनुसार, 75% भारतीय आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ PM2.5 का स्तर WHO के मानकों (35 µg/m3) से कहीं अधिक है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) रिपोर्ट हर दो साल में वायु गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य प्रभावों पर आधारित होती है।
- वायु प्रदूषण अब वैश्विक स्तर पर हर साल लगभग 8 मिलियन (80 लाख) मौतों के लिए जिम्मेदार है।
- 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण को NCDs के पांच प्रमुख जोखिम कारकों में शामिल किया।
- वायु प्रदूषण नियंत्रण, जलवायु लक्ष्यों और ऊर्जा दक्षता के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि एक “मौन महामारी” बन चुका है जो भारत की स्वास्थ्य प्रणाली और सामाजिक ढांचे को भीतर से खोखला कर रहा है।