वागामोन की पहाड़ियों में खोजा गया ‘वनपुष्पम्’: सफेद मूसली का निकट संबंधी नया वनस्पति प्रजाति

केरल के इडुक्की जिले की वागामोन पहाड़ियों में हाल ही में एक दुर्लभ और नवीन पौधों की प्रजाति की खोज ने जैव विविधता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह बारहमासी जड़ी-बूटी (perennial herb), जिसे Chlorophytum vanapushpam नाम दिया गया है, अब सफेद मूसली (Chlorophytum borivilianum) की करीबी रिश्तेदार के रूप में पहचानी जा रही है। सफेद फूलों और पतले पत्तों वाली यह नई प्रजाति Asparagaceae कुल की है।
पश्चिमी घाट: क्लोरोफाइटम जाति का जन्मस्थल
वैज्ञानिकों के अनुसार, पश्चिमी घाट क्षेत्र को Chlorophytum जाति का संभावित उत्पत्ति केंद्र माना जाता है। अब तक यहां 18 प्रजातियाँ पहचानी जा चुकी हैं, जिनमें से कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं। प्रसिद्ध सफेद मूसली इसी जाति की प्रमुख औषधीय पौधा है, जो पारंपरिक चिकित्सा में व्यापक रूप से प्रयुक्त होती है।
Chlorophytum vanapushpam की खोज संयोगवश हुई, जब शोधकर्ताओं की एक टीम केरल राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना के तहत वनों में पाए जाने वाले खाद्य कंदों पर अध्ययन कर रही थी। यह नई प्रजाति 90 सेंटीमीटर तक ऊँची होती है और इसे वागामोन और नेयमक्कड की चट्टानी पहाड़ियों में 700 मीटर से 2124 मीटर की ऊँचाई पर पाया गया।
वनपुष्पम् की विशेषताएं
इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता इसका कंद रहित होना है, जो इसे सफेद मूसली से अलग बनाता है। इसके सफेद फूल छोटे-छोटे गुच्छों में खिलते हैं और इसका पुष्पकाल व फलकाल सितंबर से दिसंबर तक रहता है। इसके बीजों का आकार 4 से 5 मिमी होता है।
इसका नाम ‘वनपुष्पम्’ मलयालम के दो शब्दों ‘वनम्’ (जंगल) और ‘पुष्पम्’ (फूल) से मिलकर बना है, जो इसके प्राकृतिक निवास स्थान और सौंदर्य को दर्शाता है।
खोजकर्ताओं की टीम
इस खोज के लिए जिन वैज्ञानिकों को श्रेय दिया गया है, उनमें प्रमुख हैं:
- डॉ. जोस मैथ्यू, संतान धर्म कॉलेज, अलप्पुझा
- डॉ. सी.एन. सुनील और एम.जी. सनील कुमार, एसएनएम कॉलेज, मालीयन्कारा
- एम.के. रथीश नारायणन, पय्यन्नूर कॉलेज
- सिधार्थ एस. नायर, सिर सैयद कॉलेज, तलिपरम्बा
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Chlorophytum vanapushpam की खोज वागामोन और नेयमक्कड की पहाड़ियों में हुई।
- यह पौधा 700 से 2124 मीटर की ऊँचाई वाले पश्चिमी घाट क्षेत्रों में पाया गया।
- Chlorophytum जाति की 18 प्रजातियाँ अब तक पश्चिमी घाट में पहचानी गई हैं।
- सफेद मूसली (Chlorophytum borivilianum) इस जाति की सबसे प्रसिद्ध औषधीय प्रजाति है।