वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2026: भारत में बढ़ती असमानता ने फिर छूई उपनिवेशकाल की सीमा
वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2026 ने भारत को दुनिया की सबसे अधिक असमानता वाले बड़े अर्थव्यवस्थाओं में स्थान दिया है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि हाल के वर्षों की आर्थिक वृद्धि का लाभ मुख्य रूप से धनी वर्गों तक सीमित रहा है, जिससे क्षेत्रीय, लैंगिक और सामाजिक स्तर पर संरचनात्मक असमानताएँ और अधिक गहरी हुई हैं।
आय और संपत्ति में ऐतिहासिक स्तर की असमानता
2025 में भारत के शीर्ष 10% लोगों ने राष्ट्रीय आय का 58% अर्जित किया, जबकि शीर्ष 1% अकेले 22.6% पर काबिज रहे — यह स्वतंत्रता के बाद अब तक की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। इसके विपरीत, निचले 50% लोगों को केवल 15% आय ही प्राप्त हुई।
संपत्ति वितरण और भी असमान है:
- शीर्ष 10% के पास 65% घरेलू संपत्ति है।
- शीर्ष 1% 40.1% से अधिक संपत्ति पर नियंत्रण रखते हैं।
तुलनात्मक रूप से भारत ने ब्राज़ील और अमेरिका जैसे देशों को भी असमानता के कई पैमानों पर पीछे छोड़ दिया है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और सामाजिक पक्ष
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत में आय वितरण का स्वरूप अब फिर से ब्रिटिश राज के समय के समान हो गया है, जिससे 20वीं सदी के मध्य में आई असमानता में कमी अब उलटी दिशा में जा रही है।
- महिलाएँ केवल 18% श्रम-आय का हिस्सा पाती हैं।
- ग्रामीण इलाकों के निचले 50% की आय न्यूनतम स्तर पर है, जबकि शहरी उच्चवर्ग की आमदनी में लगातार वृद्धि हो रही है।
- अनुसूचित जातियों और जनजातियों की आय अधिकांशतः निचली श्रेणियों में केंद्रित है, जो सामाजिक विषमता की स्थायीत्व को दर्शाती है।
असमानता के प्रमुख कारण
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता के पीछे कई कारक हैं:
- तकनीकी परिवर्तन, जो शहरी और कुशल कामगारों के पक्ष में झुके हुए हैं।
- कॉरपोरेट ताकत का केंद्रीकरण, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग प्रभावित हुए हैं।
- कमजोर श्रम संरक्षण कानून और
- पिछड़ा कर संरचना (regressive tax system), जिसके चलते नीचे के वर्गों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है।
नीचे के 60% लोगों की वास्तविक मजदूरी में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, जबकि कुछ लाभकारी क्षेत्रों ने संपत्ति के केंद्रीकरण को और तेज़ किया है। भारत का Tax-to-GDP अनुपात अन्य तुलनीय अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अभी भी कम है, जिससे पुनर्वितरण की सरकारी क्षमता सीमित हो जाती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2025 में भारत के शीर्ष 10% ने 58% राष्ट्रीय आय पर अधिकार किया।
- शीर्ष 1% की हिस्सेदारी 22.6% आय और 40.1% संपत्ति में रही।
- महिला श्रम-आय भागीदारी राष्ट्रीय स्तर पर 18% है।
- रिपोर्ट ने संपत्ति कर, उत्तराधिकार कर और सार्वभौमिक सार्वजनिक सेवाओं की सिफारिश की है।
नीति सुझाव और आगे की राह
रिपोर्ट ने असमानता से निपटने के लिए कई ठोस सुझाव दिए हैं:
- प्रगतिशील संपत्ति कर (Wealth Tax)
- उत्तराधिकार कर की पुनः स्थापना
- उच्च आय पर सुपर टैक्स
- सार्वभौमिक बुनियादी सेवाओं का विस्तार (Universal Basic Services)
विश्लेषकों का कहना है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन उसका वितरण अत्यंत असमान है। रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर नीति सुधार नहीं किए गए, तो 2030 तक असमानता और अधिक बढ़ सकती है, जिससे अगले दशक के आर्थिक और सामाजिक परिणामों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
यह रिपोर्ट न केवल सामाजिक न्याय के लिए चेतावनी है, बल्कि नीति-निर्माताओं के लिए एक तत्काल सुधार का आह्वान भी है।