वन रक्षकों को समर्पित: ‘गार्डियंस ऑफ द वाइल्ड’ रिपोर्ट में 25 वर्षों की सेवा का सम्मान

भारत के वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत वन रक्षकों (Forest Rangers) की भूमिका और बलिदान को उजागर करती “गार्डियंस ऑफ द वाइल्ड: सपोर्टिंग इंडियाज़ फ्रंटलाइन फॉरेस्ट स्टाफ” शीर्षक से वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट अब सामने आई है। रिपोर्ट का विमोचन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कृतिवर्धन सिंह द्वारा अबू धाबी में शनिवार को किया गया।
जमीनी हकीकत: 540 वन रक्षकों की कहानी
इस रिपोर्ट में पिछले 25 वर्षों के दौरान कर्तव्य निर्वहन के दौरान हताहत हुए 540 वन रक्षकों की कहानियाँ और उनके व्यक्तिगत अनुभव शामिल हैं। ये “अनसुने नायक” भारत की 1,100 से अधिक संरक्षित क्षेत्रों और अन्य प्राकृतिक वनों की रक्षा में दिन-रात लगे रहते हैं। इनके कार्यों में शामिल हैं:
- सतत गश्त और निगरानी
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करना
- वन्यजीव अपराध से लड़ना
- आपात परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देना
यह सब कुछ वे अक्सर प्राणों की बाज़ी लगाकर करते हैं।
वन रक्षक परियोजना (Van Rakshak Project – VRP)
WTI ने वर्ष 2000 में IFAW के सहयोग से वन रक्षक परियोजना (VRP) की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देशभर में एक सुसज्जित, प्रशिक्षित और प्रेरित वन स्टाफ बल का निर्माण करना था। इस परियोजना के तहत अब तक 21,000 से अधिक वनकर्मियों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की गई है।
VRP की एक महत्वपूर्ण पहल है:
- सप्लिमेंटरी एक्सीडेंट एश्योरेंस स्कीम: ड्यूटी के दौरान घायल या मृत वन रक्षकों अथवा उनके परिवारों को त्वरित वित्तीय सहायता।
2001 से अब तक 367 कर्मचारियों या उनके परिवारों को सहायता दी जा चुकी है, जिनमें से 74% मामले मृत्यु से जुड़े हैं।
कोविड काल में भी साथ
कोविड-19 महामारी के दौरान WTI ने 173 वन रक्षकों के परिवारों को ‘कंज़र्वेशन हीरोज कोविड कैजुअल्टी फंड’ के तहत विशेष सहायता दी, जिन्होंने महामारी के दौरान जान गंवाई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- WTI की स्थापना 1998 में हुई थी और इसका मुख्यालय भारत में है।
- Van Rakshak Project (VRP) की शुरुआत 2000 में की गई थी।
- Supplementary Accident Assurance Scheme के तहत अब तक 367 मामलों में सहायता दी जा चुकी है।
- भारत में 1,100+ संरक्षित क्षेत्र, जिनकी रक्षा वन रक्षक करते हैं।
- कोविड काल में 173 वन रक्षकों के परिवारों को विशेष सहायता दी गई।