वज्र चंद्रशेखर को मिला 2025 का उर्सुला के. ले ग्विन फिक्शन पुरस्कार
श्रीलंकाई लेखक वज्र चंद्रशेखर ने अपने दूसरे उपन्यास Rakesfall के लिए प्रतिष्ठित उर्सुला के. ले ग्विन फिक्शन पुरस्कार 2025 जीत लिया है। यह पुरस्कार 25,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹22 लाख) की राशि के साथ उन लेखकों को दिया जाता है जो “आशा के वास्तविक आधारों की कल्पना करते हैं।”
शक्ति, स्मृति और कल्पना का साहित्यिक संगम
Rakesfall, जो अप्रैल 2025 में टोर बुक्स द्वारा प्रकाशित हुआ, दो पात्रों — एनलिड और लेवरेट — की कहानी है, जो श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान बचपन में मिलते हैं और कई जन्मों के दौरान एक-दूसरे से पुनः मिलते रहते हैं। उपन्यास का मूल विषय है: “शक्ति की निरंतरता और वे कहानियाँ जो इसे बनाए रखती हैं।”
चंद्रशेखर ने पुरस्कार स्वीकृति वीडियो में कहा, “Rakesfall शक्ति के बारे में है — सत्ता के घमंड, अनावश्यक आत्मविश्वास, और उस असीम लालच के बारे में, जो केवल सत्ता तक सीमित नहीं रहता बल्कि ईश्वरत्व तक पहुँचने की चाह रखता है। यही आज की दुनिया है।”
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Rakesfall श्रीलंकाई लेखक वज्र चंद्रशेखर का दूसरा उपन्यास है।
- उन्हें 2025 का उर्सुला के. ले ग्विन फिक्शन पुरस्कार प्रदान किया गया।
- पुरस्कार राशि: $25,000 (लगभग ₹22 लाख)।
- उनका पहला उपन्यास The Saint of Bright Doors (2023) New York Times की Notable Books सूची में शामिल था।
- उपन्यास में शक्ति, राजनीति, और स्मृति की गूढ़ परतें मौजूद हैं।
साहित्य के माध्यम से सामाजिक चेतना
चंद्रशेखर की लेखनी पौराणिकता, राजनीति और दर्शन के बीच बहती है, जहाँ औपनिवेशिक अतीत की परछाइयाँ आस्था की यांत्रिकी और प्रगति के अवशेषों के साथ एक ही मंच पर उपस्थित होती हैं। उनका मानना है कि “कल्पना अपने आप में मुक्ति नहीं है, उसे ऐसा बनाया जाना पड़ता है।”
वह मानते हैं कि कल्पना केवल विस्मयकारी नहीं, भयावह भी हो सकती है — और यह लेखक की जिम्मेदारी है कि वह कल्पना को सामाजिक परिवर्तन का साधन बनाए।
उर्सुला के. ले ग्विन की विरासत
उर्सुला के. ले ग्विन (1929–2018) 20वीं सदी की सबसे प्रभावशाली साहित्यकारों में से थीं, जिन्होंने विज्ञान कथा, फंतासी और यथार्थवाद के माध्यम से लिंग, शक्ति और समुदाय की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती दी। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ The Left Hand of Darkness और The Dispossessed हैं। ले ग्विन ने कल्पना को एक राजनीतिक क्रिया माना, जो “अनाम को नाम देती है और मूक को स्वर।”
चंद्रशेखर की लेखनी भी इसी सोच को आगे बढ़ाती है — वह अतीत और वर्तमान को जोड़ते हुए, कल्पना को स्मृति और चेतना का माध्यम बनाते हैं।