वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला और इसके दूरगामी प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को पूरी तरह से निलंबित करने से इनकार कर दिया, लेकिन इसकी कुछ विवादास्पद धाराओं के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि कानून की संवैधानिक वैधता की अंतिम सुनवाई लंबित है, और तब तक कुछ प्रावधान लागू नहीं किए जा सकते।

किन प्रावधानों पर लगी रोक?

अदालत ने उन धाराओं पर रोक लगाई है जो:

  • जिलाधिकारियों को यह अधिकार देती थीं कि वे स्वयं तय करें कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी।
  • वक्फ बनाने वाले व्यक्ति को कम से कम पाँच वर्षों से इस्लाम का अनुयायी होना अनिवार्य करती थीं।
  • केंद्र और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या को बिना सीमा के शामिल करने की अनुमति देती थीं।

अदालत ने इन प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 26 और 30 में वर्णित धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक संस्थानों के प्रशासनिक अधिकारों के खिलाफ माना।

अदालत की प्रमुख टिप्पणियाँ

  • जमीन के मालिकाना हक के प्रश्न केवल न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निकाय ही तय कर सकते हैं, न कि कार्यपालिका के अधिकारी।
  • जब तक मामला लंबित है, वक्फ संपत्तियों से किसी को बेदखल नहीं किया जाएगा, परंतु वक्फ प्रबंधक (मुतवल्ली) किसी तीसरे पक्ष को संपत्ति पर अधिकार नहीं दे सकेंगे।
  • अनुसूचित जनजातियों की भूमि और सुरक्षित स्मारकों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।
  • “इस्लाम का पाँच वर्षों का अभ्यास” वाली शर्त को फिलहाल निलंबित रखा गया है, जब तक कि केंद्र सरकार इसके लिए स्पष्ट प्रक्रिया नहीं बनाती।

जो प्रावधान लागू रहेंगे

  • “वक्फ बाय यूज़र” सिद्धांत को समाप्त करने वाला प्रावधान लागू रहेगा, क्योंकि अदालत ने माना कि इसके जरिए बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि पर दावा किया गया है।
  • वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण केंद्रीय डिजिटल पोर्टल पर अनिवार्य रहेगा।
  • 1963 के सीमा अधिनियम (Limitation Act) को वक्फ मामलों पर लागू करना जारी रहेगा, जिससे वक्फ बोर्ड बिना समय सीमा के भूमि पर दावा नहीं कर सकेंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित करता है।
  • वक्फ अधिनियम 1995 को संशोधित कर 2025 में नया अधिनियम लाया गया, जिसे सरकार ने “प्रशासन में पारदर्शिता लाने” का प्रयास बताया।
  • अनुच्छेद 26: धार्मिक समुदायों को अपने धर्म की स्वतंत्रता और संस्थानों के संचालन का अधिकार देता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा हजारों एकड़ सरकारी भूमि को वक्फ घोषित करने की अधिसूचना को निरस्त कर दिया था।

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