लो-अल्टीट्यूड इकोनॉमी में अग्रणी बनने की ओर तमिलनाडु: ड्रोन और हवाई गतिशीलता के लिए नई रणनीति

लो-अल्टीट्यूड इकोनॉमी में अग्रणी बनने की ओर तमिलनाडु: ड्रोन और हवाई गतिशीलता के लिए नई रणनीति

तमिलनाडु सरकार ड्रोन और उन्नत हवाई गतिशीलता के क्षेत्र में भारत का नेतृत्व करने की दिशा में एक ठोस रणनीति पर कार्य कर रही है। इसके तहत राज्य योजना आयोग ने लो-अल्टीट्यूड इकोनॉमी (LAE) के लिए एक व्यापक अवसंरचना रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है। यह प्रयास भारत में तकनीकी नवाचार और औद्योगिक बुनियादी ढांचे को नया आयाम देने वाला माना जा रहा है।

क्या है लो-अल्टीट्यूड इकोनॉमी?

लो-अल्टीट्यूड इकोनॉमी उन आर्थिक गतिविधियों को संदर्भित करता है, जो ज़मीन से 3,000 मीटर की ऊँचाई तक होती हैं। इसमें ड्रोन टेक्नोलॉजी, मानवरहित और मानव चालित हवाई प्रणालियाँ, और उन्नत हवाई गतिशीलता से संबंधित सेवाएँ और उद्योग शामिल हैं। यह क्षेत्र वैश्विक रूप से एक आर्थिक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में परिवहन, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और लॉजिस्टिक्स जैसी कई सेवाओं को प्रभावित करेगा।

तमिलनाडु की तैयारियाँ और औद्योगिक बढ़त

तमिलनाडु इस क्षेत्र में पहले ही महत्वपूर्ण पहल कर चुका है। SIPCOT वल्लम वडागल में ₹45 करोड़ की लागत से भारत का पहला सामान्य ड्रोन परीक्षण केंद्र स्थापित किया गया है। इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु नवाचार पहल (TANII) के तहत चेत्तिनाद एयरपोर्ट पर BVLOS (Beyond Visual Line of Sight) प्रशिक्षण, परीक्षण और संचालन के लिए एक केंद्र विकसित किया जा रहा है।
राज्य की औद्योगिक मजबूती का आधार HAL, BEL और DRDO जैसे प्रतिष्ठानों के साथ-साथ 60 किलोमीटर लंबा ऑटोमोटिव कॉरिडोर है, जिसे ‘एशिया का डेट्रॉयट’ कहा जाता है।

आगामी मास्टर प्लान और वैश्विक सहभागिता

तमिलनाडु सरकार आगामी “तमिलनाडु लो-अल्टीट्यूड इकोनॉमी फोरम 2025” में अपना मास्टर प्लान जारी करेगी। यह रोडमैप वर्टिपोर्ट विकास, ड्रोन कॉरिडोर, प्रशिक्षण और प्रमाणन ढांचा, नियामक सैंडबॉक्स और उद्योग सहभागिता को विस्तृत रूप में प्रस्तुत करेगा।
इस आयोजन में एयरबस, बोइंग की Wisk Aero, चीन की EHang जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ भारत की Garuda Aerospace, Dhaksha और ePlane जैसे स्टार्टअप्स भी भाग लेंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • LAE में ज़मीन से 3,000 मीटर तक की हवाई आर्थिक गतिविधियाँ आती हैं, जिसमें ड्रोन, eVTOL और हवाई सेवाएँ शामिल हैं।
  • भारत का ड्रोन बाजार 2024 में $562 मिलियन का है और 2033 तक इसके तीन गुना बढ़ने की संभावना है।
  • चीन का LAE बाजार 2023 में $65 बिलियन तक पहुँच चुका है और 2035 तक $450 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
  • Zuppa Geo, IIT मद्रास और भारतीय वायुसेना के बीच UAV और नेविगेशन सिस्टम के संयुक्त अनुसंधान के लिए समझौता हुआ है।
Originally written on October 8, 2025 and last modified on October 8, 2025.

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