लॉर्ड एमहर्स्ट

लॉर्ड एमहर्स्ट
- लॉर्ड एमहर्स्ट 1823 से 1828 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा।
- इससे पहले वह 1758 से 1763 तक अमेरिका में ब्रिटिश कमांडर रहा। इसके बाद उसे 1816 में चीन भेजा गया जिसके बाद उसे 1823 में भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया।
- उसके काल में 1824-26 में पहला एंग्लो-बर्मा युद्ध लड़ा गया।
- बर्मा भारत के पूर्व दिशा में एक स्वतंत्र देश था। उसके शासकों ने 1765-69 तक सियाम पर कब्जा करने का प्रयास किया। सियाम के शासकों ने चीन से मदद मांगी, जिस कारण बर्मा के शासक सियाम पर कब्जा नहीं कर सके, उसके बाद उन्होने पश्चिमी दिशा पर अपना ध्यान लगाया।
- बर्मा ने 1813 में मणिपुर और 1817 में असम पर अधिकार कर लिया। शुरू में ब्रिटीशों ने युद्ध नहीं लड़ने के प्रयास किए लेकिन वो असफल रहे।अंत में एमहर्स्ट ने बर्मा पर युद्ध की घोषणा कर दी।
- युद्ध में बर्मा की पूर्णतया पराजय हुई और यंदबू की संधि के साथ युद्ध खत्म हो गया।
- इस युद्ध के बाद असम, मणिपुर, अराकान, तनिनथाई पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार हो गया, बर्मा को अपने यहाँ ब्रिटिश अधिकारी रखने पड़े, बर्मा ने ब्रिटिश को 10 लाख पाउंड स्टर्लिंग की राशि दी, और बर्मा को ब्रिटिश के साथ वाणिज्यिक संधि करनी पड़ी।
- उसके काल में 1824 में बैरकपुर छावनी में विद्रोह हुआ।
- बर्मा युद्ध में बंगाल आर्मी को समुद्र से बर्मा भेजा गया। भारतीयों के लिए तब समुद्र यात्रा सामाजिक रूप से अवैध थी। समुद्र के पानी को काला-पानी कहा जाता था।
- भारतीयों की मांगों पर पहले तो कोई ध्यान नहीं दिया गया , अंत में भारतीय सैनिकों ने बर्मा जाने से इनकार कर दिया।
- ब्रिटीशों ने भारतीय सैनिकों की मांग नहीं मानी जिसके बाद भारत के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया, इसमें 200 भारतीय सैनिक मारे गए और उनके नेता बिंदा को पीपल के पेड़ पर फांसी दी गयी। वहाँ आज बिंदा बाबा का मंदिर है।
Originally written on
March 20, 2019
and last modified on
March 20, 2019.