लैंटाना कैमरा: जैव विविधता के लिए एक खामोश लेकिन गंभीर खतरा
दुनिया के उष्णकटिबंधीय, उपोष्ण और गर्म समशीतोष्ण क्षेत्रों में एक चुपचाप फैलती हुई पारिस्थितिक आपदा सामने आ रही है—जिसका नाम है “लैंटाना कैमरा” (Lantana camara)। अपनी रंग-बिरंगी पुष्पगुच्छ जैसी फूलों और तीव्र गंध के लिए पहचाने जाने वाला यह आक्रामक पौधा अब करोड़ों हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर चुका है। यह न केवल जैव विविधता को खतरे में डालता है, बल्कि कृषि और वन पारिस्थितिक तंत्रों के लिए भी गंभीर संकट पैदा करता है।
वर्चस्व के लिए डिज़ाइन किया गया पौधा
लैंटाना कैमरा की आक्रामकता इसके जैविक लाभों से उत्पन्न होती है। यह मिट्टी में ऐसे रसायन छोड़ता है जो पास के पौधों की वृद्धि को रोकते हैं—इसे “एलेलोपैथी” कहते हैं। इसके पत्ते, फूल और फल जहां एक ओर मवेशियों के लिए विषैले होते हैं, वहीं पक्षियों, कीड़ों और बंदरों के लिए आकर्षक होते हैं, जो इसके बीजों को दूर-दूर तक फैलाते हैं। इसकी जड़ें गहराई तक जाती हैं और सीमित जल एवं पोषक तत्वों को सोख लेती हैं। पत्तों पर रेज़िन की परत इसकी नमी को बनाए रखती है, जिससे यह शुष्क और बंजर भूमि में भी फल-फूल सकता है।
सजावटी पौधे से वैश्विक खतरा
लैंटाना मूलतः मध्य और दक्षिण अमेरिका का पौधा है। 17वीं शताब्दी में इसे यूरोप में सजावटी झाड़ी के रूप में लाया गया था। परंतु 19वीं सदी तक यह बागीचों से बाहर निकलकर एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में तेज़ी से फैलने लगा। सड़कों के किनारे, खेतों और जंगलों में इसका अनियंत्रित प्रसार इसे एक गंभीर पारिस्थितिकीय समस्या बना बैठा।
निष्क्रिय नियंत्रण प्रयास और विफलताएँ
20वीं सदी की शुरुआत में विभिन्न सरकारों ने लैंटाना को नियंत्रित करने के लिए व्यापक प्रयास शुरू किए, जिनमें उखाड़ना, जलाना, रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग और पत्तियों को खाने वाले कीड़ों का जैविक नियंत्रण शामिल था। लेकिन अधिकांश अभियानों को सफलता नहीं मिली। इसके कांटेदार झाड़ियाँ बार-बार उग आती थीं, जिससे यह साबित हुआ कि यह पौधा अत्यधिक सहनशील और पुनर्जीवित होने वाला है। वर्ष 2000 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने इसे “दुनिया की सबसे खतरनाक आक्रामक प्रजातियों” में शामिल किया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लैंटाना कैमरा को IUCN द्वारा दुनिया की सबसे खतरनाक आक्रामक प्रजातियों में सूचीबद्ध किया गया है।
- एलेलोपैथी वह प्रक्रिया है जिसमें पौधे अपने आस-पास के पौधों की वृद्धि को रोकने वाले रसायन छोड़ते हैं।
- आक्रामक प्रजातियाँ अक्सर सजावटी पौधों के रूप में लाकर अनजाने में फैलती हैं।
- जलवायु परिवर्तन आक्रामक प्रजातियों के प्रसार को तेज करता है।
जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन की नई रणनीतियाँ
बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हैं, ने लैंटाना के प्रसार को और भी तेज कर दिया है। ऐसे में कुछ समुदाय अब उन्मूलन के बजाय अनुकूलन की रणनीतियाँ अपनाने लगे हैं। तमिलनाडु के कुछ आदिवासी समूह अब लैंटाना की लकड़ी से फर्नीचर, हस्तशिल्प और मूर्तियाँ बना रहे हैं। यह रणनीति यद्यपि इस पौधे के प्रसार को रोक नहीं पाती, फिर भी यह एक पारिस्थितिक चुनौती को आजीविका के अवसर में बदलने का अभिनव प्रयास है।
लैंटाना कैमरा के विरुद्ध लड़ाई आसान नहीं है, लेकिन इसके प्रभावों की स्पष्ट समझ और स्थानीय समाधानों को बढ़ावा देकर इसका प्रबंधन संभव है। जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन की रक्षा हेतु ऐसे नवाचारी प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं।