लुधियाना की ट्रैफिक और प्रदूषण की जकड़ में फंसी श्रमिक जिंदगी

लुधियाना, भारत का एक प्रमुख औद्योगिक शहर, आज प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और अव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था से जूझ रहा है। यहां की एक करोड़ से अधिक जनसंख्या में लाखों प्रवासी श्रमिक रोजाना साइकिल से काम पर जाते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी और सड़क अव्यवस्था उनकी जिंदगी को थका देने वाली बना देती है।
श्रमिकों की कठिन यात्रा
चंद्रमा प्रसाद जैसे श्रमिक, जो पिछले 18 वर्षों से साइकिल से काम पर जा रहे हैं, हर दिन दो-तीन किलोमीटर की दूरी तय करने में एक घंटे से अधिक समय लगाते हैं। बिना साइकिल ट्रैक के, भारी वाहनों और टू-व्हीलर ट्रैफिक के बीच रास्ता निकालना न केवल समयसाध्य है, बल्कि बेहद थकाऊ भी। ₹300 रोजाना कमाने वाले श्रमिकों के पास ऑटो या टैक्सी का विकल्प नहीं होता।
सार्वजनिक परिवहन की अनुपस्थिति
लुधियाना में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था लगभग नगण्य है। ऑटो-रिक्शा ही प्रमुख साधन हैं, लेकिन सुरक्षा और मनमानी किराए के कारण स्थानीय लोग भी इनसे बचते हैं। ई-रिक्शा और अवैध डीजल ऑटो-रिक्शा स्थिति को और खराब करते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2009 में डीजल ऑटो पर प्रतिबंध के बावजूद वे आज भी शहर में चलते हैं।
वाहनों की बढ़ती संख्या
2021 में जहाँ वाहन पंजीकरण 48,143 था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 1,15,122 हो गया — महज तीन वर्षों में 100% से अधिक की वृद्धि। शहर की सड़कें वैसी की वैसी बनी हुई हैं, जबकि बड़ी SUV और निजी वाहनों ने स्थान की कमी को और गंभीर बना दिया है। फुटपाथों पर पार्किंग और अतिक्रमण ने पैदल यात्रियों के लिए रास्ता छीन लिया है।
दुर्घटनाएं और सड़क सुरक्षा
2023 में लुधियाना में 504 सड़क हादसे और 402 मौतें दर्ज की गईं। इनमें 47% पीड़ित टू-व्हीलर चालक और 32% पैदल यात्री थे। 89 से अधिक ‘ब्लैक स्पॉट’ की पहचान की गई, लेकिन सुधार की प्रक्रिया बेहद धीमी है। दुकानों और व्यावसायिक गतिविधियों द्वारा फुटपाथों पर अतिक्रमण पैदल चलने वालों के लिए घातक बन चुका है।
वायु प्रदूषण का खतरा
औद्योगिक इकाइयों और ट्रैफिक के कारण लुधियाना भारत के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है। 2024 में PM2.5 स्तर 61.1 तक पहुंच गया। नगर निगम का कहना है कि 49% प्रदूषण उद्योगों, 30% सड़क की धूल और 11% वाहनों से उत्पन्न होता है। AQI अक्सर 300 के पार रहता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लुधियाना में लगभग 1.24 लाख छोटे-मझोले उद्योग हैं, जिनमें 10 लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं।
- CMP 2014 के अनुसार, 49% यात्राएं कार्य से संबंधित थीं, लेकिन योजना का अधिकांश हिस्सा कागजों में ही रह गया।
- 2024 में लुधियाना में कुल पंजीकृत वाहन संख्या 16,63,071 रही।
- 2023 में 402 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई, जिनमें से अधिकांश पैदल यात्री और टू-व्हीलर चालक थे।
- PM2.5 स्तर 2018 में 51 था, जो 2024 में बढ़कर 61.1 हो गया।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पंजाब सरकार ने मई 2025 में ‘चलने का अधिकार’ मान्यता देने की घोषणा की।
लुधियाना की मौजूदा स्थिति बताती है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ बुनियादी शहरी ढांचे और पर्यावरणीय जागरूकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रवासी श्रमिक, जो इस शहर की औद्योगिक रीढ़ हैं, सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। सरकार और नागरिकों दोनों को समग्र, टिकाऊ और समावेशी परिवहन और पर्यावरण नीति की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ना होगा।