ली जे-म्योंग बने दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति, प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू ने मानी हार

दक्षिण कोरिया की राजनीति में भारी उथल-पुथल और मार्शल लॉ की चौंकाने वाली घोषणा के बाद, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार ली जे-म्योंग ने 2025 का राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और कंजरवेटिव पीपल पावर पार्टी (PPP) के किम मून-सू ने हार स्वीकार करते हुए उन्हें बधाई दी।

चुनावी परिणाम और रिकॉर्ड मतदान

राष्ट्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, 99.2% वोटों की गिनती के बाद ली जे-म्योंग को 49.3% वोट मिले, जबकि किम मून-सू को 41.3% मत प्राप्त हुए। इस बार का मतदान लगभग 80% रहा, जो 1997 के बाद सबसे अधिक है। ली ने इसे “न्याय का दिन” करार देते हुए पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल के मार्शल लॉ के प्रयास को मतदाताओं द्वारा नकारे जाने के रूप में देखा।

मार्शल लॉ और राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि

पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल की ओर से कुछ महीनों पहले लगाए गए संक्षिप्त मार्शल लॉ और उसके बाद हुए महाभियोग ने देश को राजनीतिक अस्थिरता में डाल दिया था। किम मून-सू यून के करीबी माने जाते रहे और वह खुद को इस विवाद से पूरी तरह अलग नहीं कर पाए। इसका असर उनके चुनावी प्रदर्शन पर पड़ा।

ली जे-म्योंग का दृष्टिकोण

पूर्व में ग्योंगगी प्रांत के गवर्नर और सोंगनाम शहर के मेयर रह चुके ली, आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं। एक पूर्व बाल श्रमिक के रूप में उनकी संघर्षपूर्ण जीवनकथा ने उन्हें आम जनता से जोड़ा है। उन्होंने अपने विजयी भाषण में उन नागरिकों को भी साथ लेकर चलने का वादा किया जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया। साथ ही, उन्होंने उत्तर कोरिया से संवाद और सहयोग की बात कही, जो यून के सख्त रुख से काफी अलग है।

सुरक्षा व्यवस्था और चुनावी माहौल

यून की गिरफ्तारी और मुकदमे के बाद देश में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। चुनाव के दिन पुलिस ने उच्चतम सुरक्षा स्तर लागू किया और हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए। ली जे-म्योंग, जो पिछले साल एक जानलेवा हमले से बच गए थे, ने चुनाव प्रचार बुलेटप्रूफ जैकेट और सुरक्षात्मक शीशे के पीछे से किया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति का कार्यकाल: एकल पांच वर्षीय कार्यकाल होता है, दोबारा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं।
  • डेमोक्रेटिक पार्टी (DP): दक्षिण कोरिया की प्रमुख लिबरल पार्टी, जिसने यून सुक-योल के शासन के खिलाफ अभियान चलाया।
  • ग्योंगगी प्रांत: देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र, जहां ली जे-म्योंग गवर्नर रह चुके हैं।
  • पीपल पावर पार्टी (PPP): दक्षिण कोरिया की कंजरवेटिव पार्टी, यून और किम मून-सू इसके प्रमुख चेहरे रहे हैं।
  • मार्शल लॉ विवाद: यून सुक-योल द्वारा आपातकाल लागू करने का असफल प्रयास, जिसके कारण उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा।

ली जे-म्योंग की जीत दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र की बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। हालांकि, उनके सामने घरेलू असमानता, उत्तर कोरिया के साथ तनावपूर्ण संबंध, और अमेरिकी नीतियों के बीच संतुलन जैसी कई चुनौतियाँ रहेंगी। अब यह देखना होगा कि वे अपने सुधारवादी एजेंडे को कैसे आगे बढ़ाते हैं।

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