लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS): 2025 में बदलाव और नई कर नियमावली

लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू की गई एक योजना है, जिसके तहत भारत के निवासी व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) में अधिकतम 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि विदेश भेज सकते हैं। यह योजना व्यक्तिगत उद्देश्यों जैसे शिक्षा, चिकित्सा उपचार, यात्रा, उपहार, विदेशी निवेश, व्यवसाय और प्रवास आवश्यकताओं के लिए लागू होती है।

2025 में हुए प्रमुख बदलाव

1. TCS सीमा में वृद्धि

2025 के बजट में, विदेश में भेजी जाने वाली राशि पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है। इसका अर्थ है कि अब ₹10 लाख तक की विदेशी रेमिटेंस पर TCS लागू नहीं होगा, जिससे छोटे और मध्यम स्तर के रेमिटेंस पर कर बोझ कम होगा।

2. शिक्षा ऋण पर TCS में छूट

यदि कोई व्यक्ति किसी मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थान से शिक्षा ऋण लेकर विदेश में पढ़ाई के लिए राशि भेजता है, तो उस पर अब कोई TCS लागू नहीं होगा। पहले इस पर 0.5% TCS लागू होता था।

3. अन्य उद्देश्यों पर TCS दरें

  • शिक्षा (स्व-वित्तपोषित) और चिकित्सा उपचार: ₹10 लाख से अधिक की राशि पर 5% TCS लागू होगा।
  • अन्य उद्देश्यों (जैसे निवेश, उपहार, यात्रा): ₹10 लाख से अधिक की राशि पर 20% TCS लागू होगा।

RBI द्वारा LRS की समीक्षा

RBI ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में LRS के तहत लगभग $30 बिलियन की विदेशी रेमिटेंस के मद्देनजर इस योजना की व्यापक समीक्षा शुरू की है। इस समीक्षा का उद्देश्य योजना की कानूनी संरचना, वार्षिक सीमा, अनुमत उद्देश्यों और भुगतान मोड्स का पुनर्मूल्यांकन करना है, ताकि इसे वर्तमान आर्थिक और भू-राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके।

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