लिट्टे पर प्रतिबन्ध लगाने के बारे में निर्णय लेने के लिए भारत सरकार ने किसकी अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल का गठन किया है?
उत्तर – जस्टिस संगीता धींगरा सहगल
भारत सरकार ने लिबरेशन ऑफ़ टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) पर प्रतिबन्ध लगाने पर निर्णय लेने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया है।
मुख्य बिंदु
- हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के सेक्शन 3 के सब-सेक्शन (1) तथा (3) के तहत तहत लिट्टे पर इस प्रतिबन्ध को पांच वर्ष तक बढ़ा दिया था।
- मई, 2009 में लिट्टे की सैन्य हार के बाद भी यह संगठन भारत के विरुद्ध अपनी स्थिति को बरकरार रखे हुए है, यह भारतीय नागरिकों के लिए अभी भी एक बड़ा खतरा है।
- लिट्टे ने अभी भी तमिल ईलम की संकल्पना को नहीं छोड़ा है और यह यूरोप में इसके लिए फण्ड एकत्रित कर रहा है।
- लिट्टे को गैर-कानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण है अथवा नहीं, इसका निर्णय केंद्र द्वारा गठित ट्रिब्यूनल द्वारा किया जायेगा। इस ट्रिब्यूनल में दिल्ली उच्च न्यायालय की जस्टिस संगीता धींगरा सहगल शामिल हैं।
- यह एक श्रीलंकाई उग्रवादी व राजनीतिक संगठन है, इसकी स्थापना 1976 में की गयी थी। इसका उद्देश्य श्रीलंका के पूर्व तथा उत्तर में स्वतंत्र तमिल ईलम देश का निर्माण करना है। 1991 में लिट्टे के सदस्यों द्वारा राजीव गाँधी की हत्या किये जाने के बाद भारत सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
Originally written on
May 29, 2019
and last modified on
May 29, 2019.