लाल क़िला विस्फोट मामला: डॉक्टर उमर उ नबी पर आतंक का साया
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िले के पास हुए भीषण धमाके ने देश को स्तब्ध कर दिया है। इस हमले में कम से कम 12 लोगों की जान गई, जबकि कई अन्य घायल हुए। अब जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि इस घटना के पीछे पुलवामा के रहने वाले डॉक्टर उमर उ नबी का हाथ होने की आशंका है, जिसने कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर का रूप ले लिया।
डॉक्टर से संदिग्ध तक की यात्रा
24 फरवरी 1989 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के कोईल गांव में जन्मे डॉक्टर उमर उ नबी, ग़ुलाम नबी भट के पुत्र थे। उन्होंने श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन में एमडी की उपाधि प्राप्त की और बाद में जीएमसी अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट के रूप में कार्य किया। घटना के समय वे अल-फलाह मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे।
अधिकारियों का कहना है कि डॉ. उमर का संबंध डॉ. अदील अहमद राथर से था, जिन्हें हाल ही में आतंकी नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. उमर उन कुछ चिकित्सकों में शामिल थे जो ‘फरीदाबाद मॉड्यूल’ नामक कट्टरपंथी समूह का हिस्सा थे।
फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़ा नेटवर्क
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, यह मॉड्यूल शिक्षित डॉक्टरों का एक नेटवर्क था जो टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड चैनलों के माध्यम से गुप्त रूप से संपर्क करता था। ये लोग दिल्ली-एनसीआर में पेशेवर जीवन जीते हुए आतंकी गतिविधियों की योजना बना रहे थे। जांच एजेंसियों ने डॉ. उमर के परिवार से पूछताछ शुरू कर दी है। उनके पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ बताए जा रहे हैं।
लाल क़िले के पास धमाका: घटनाक्रम और जांच
सोमवार शाम करीब 6:52 बजे पुरानी दिल्ली के सुभाष मार्ग पर एक सफेद ह्युंडई i20 कार ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी और कुछ ही क्षणों में ज़ोरदार धमाका हुआ। कार में विस्फोट होते ही आसपास की गाड़ियाँ आग की चपेट में आ गईं और इलाके में भगदड़ मच गई। प्राथमिक जांच से पता चलता है कि कार स्वयं डॉ. उमर चला रहे थे।
इससे पहले उसी दिन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में संयुक्त छापों के दौरान करीब 2,900 किलोग्राम विस्फोटक और हथियार बरामद किए गए थे। दो सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद ही दिल्ली में यह धमाका हुआ, जिससे दोनों घटनाओं के बीच संबंध की संभावना और प्रबल हो गई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- डॉ. उमर उ नबी का जन्म 24 फरवरी 1989 को पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) में हुआ था।
- वे अल-फलाह मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में असिस्टेंट प्रोफेसर थे।
- जांच में ‘फरीदाबाद मॉड्यूल’ नामक डॉक्टरों के उग्रवादी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ।
- विस्फोट स्थल से मिले जैविक साक्ष्यों की पुष्टि के लिए उनकी माँ शमीमा बानू से डीएनए नमूना लिया गया।
डीएनए जांच और जारी आतंक विरोधी अभियान
मंगलवार को पुलिस टीम ने पुलवामा में डॉ. उमर की माँ शमीमा बानू से डीएनए सैंपल लिया ताकि विस्फोट स्थल पर मिले अवशेषों से उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और आतंकवाद-निरोधी इकाइयाँ अब इस पूरे नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय लिंक और डिजिटल ट्रेल्स की जांच में जुटी हैं।