लद्दाख के श्योक गाँव में बनेगा पहला बॉटनिकल गार्डन: पारिस्थितिकी संरक्षण और ईको-टूरिज्म की दिशा में ऐतिहासिक पहल

पूर्वी लद्दाख के श्योक गाँव, जो गलवान घाटी मार्ग पर स्थित है, जल्द ही केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का पहला बॉटनिकल गार्डन बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 10 हेक्टेयर बंजर समुदाय भूमि को एक हरित पारिस्थितिक क्षेत्र में परिवर्तित कर इसे स्थानीय फलों, औषधीय पौधों, दुर्लभ वनस्पतियों और चट्टानों के संरक्षण हेतु समर्पित किया जा रहा है। यह परियोजना लद्दाख के “Go Green Go Organic” अभियान का हिस्सा है।

परियोजना के मुख्य उद्देश्य

  • बंजर भूमि को पारिस्थितिकीय पुनर्स्थापन के माध्यम से हरित क्षेत्र में बदलना।
  • लद्दाख के स्थानीय फलों, औषधीय वनस्पतियों, पर्वतीय वनस्पतियों और चट्टानों की प्रजातियों का संरक्षण
  • इस क्षेत्र को ईको-टूरिज्म और वॉर ज़ोन टूरिज्म का केंद्र बनाना।

बॉटनिकल गार्डन की विशेषताएँ

  • स्थान: श्योक गाँव, गलवान घाटी के रास्ते पर स्थित।
  • क्षेत्रफल: कुल 10 हेक्टेयर समुदाय भूमि।
  • प्राकृतिक संग्रह:

    • सेब और खुबानी जैसे पारंपरिक फलवृक्ष।
    • उच्च हिमालयी क्षेत्र की विशेष वनस्पतियाँ
    • स्थानीय औषधीय पौधे
    • लद्दाख की विविध चट्टान प्रजातियाँ
  • विकास समयसीमा: परियोजना को 2029 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
  • सहयोगी निकाय:

    • लेह हिल काउंसिल द्वारा भूमि समतलीकरण और जल भंडारण निर्माण में सहायता।
    • सौर पंपिंग सिस्टम का वित्त पोषण एरिया काउंसलर श्री ताशी नामग्याल याकज़े द्वारा।
    • Drikung Kyabsgon Chetsang Rinpoch के “Go Green Go Organic” अभियान का हिस्सा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह परियोजना लद्दाख का पहला बॉटनिकल गार्डन बनने जा रही है।
  • बॉटनिकल गार्डन केवल सजावटी नहीं होते, बल्कि शिक्षा, अनुसंधान और संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • यह गार्डन गलवान घाटी की दिशा में है, जो भविष्य में वॉर ज़ोन टूरिज्म के अंतर्गत विकसित किया जा सकता है।
  • लद्दाख के जैविक कृषि मॉडल को बढ़ावा देने हेतु इसे “Go Green Go Organic” अभियान से जोड़ा गया है।

संभावित लाभ

  • पर्यावरणीय: स्थानीय जैव विविधता और औषधीय वनस्पतियों का संरक्षण; मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि।
  • आर्थिक: ईको-टूरिज्म और युद्ध-पर्यटन के ज़रिए स्थानीय आय में वृद्धि; कृषि व बागवानी में स्व-रोजगार के अवसर।
  • सामाजिक: ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी और सामुदायिक स्वामित्व की भावना को बढ़ावा।
  • शैक्षणिक व अनुसंधान: छात्रों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन का केंद्र; लद्दाख की दुर्लभ वनस्पतियों पर शोध को बढ़ावा।

लद्दाख का यह बॉटनिकल गार्डन न केवल पर्यावरणीय संरक्षण का प्रतीक बनेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति, आर्थिक विकास और अनुसंधान को एक साथ जोड़ने वाली एक अनूठी पहल के रूप में उभरेगा। यह परियोजना लद्दाख को हरित, समावेशी और सतत विकास की दिशा में एक नई पहचान देने जा रही है।

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