लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया टाइटेनियम और सुपरएलॉय मटेरियल्स प्लांट का उद्घाटन
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को लखनऊ स्थित पीटीसी इंडस्ट्रीज (PTC Industries) के स्ट्रैटेजिक मटेरियल्स टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स में टाइटेनियम और सुपरएलॉय मटेरियल्स प्लांट का उद्घाटन किया। यह संयंत्र भारत में पहली बार रक्षा और एयरोस्पेस के लिए आवश्यक उच्च गुणवत्ता वाले टाइटेनियम और सुपरएलॉय धातुओं के स्वदेशी उत्पादन की क्षमता प्रदान करेगा।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए अब दुर्लभ धातुओं और उन्नत सामग्रियों का उत्पादन देश में ही करना होगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल दुनिया के कुछ ही देश ऐसे हैं जो इन उच्चस्तरीय रणनीतिक सामग्रियों को परिष्कृत कर निर्माण कर सकते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा, “किसी भी देश की वास्तविक ताकत केवल तकनीक में नहीं, बल्कि उस सामग्री में होती है जिससे वह तकनीक बनती है — चाहे वह चिप हो, गोले का खोल हो या टर्बाइन ब्लेड।” इस संयंत्र के माध्यम से अब भारत अपने लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, नौसैनिक प्रणालियों और उपग्रहों के लिए आवश्यक भागों का निर्माण स्वयं कर सकेगा।
संयंत्र की विशेषताएँ और औद्योगिक महत्व
लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में फैले इस संयंत्र में ₹1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और इसकी उत्पादन क्षमता 6,000 टन प्रति वर्ष से अधिक है। यह संयंत्र घरेलू और पुनर्चक्रित स्रोतों से एविएशन-ग्रेड टाइटेनियम और सुपरएलॉय तैयार करेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह परियोजना “आत्मनिर्भर भारत” की जीवंत मिसाल है, जो न केवल उद्योग बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह प्लांट उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे (UP Defence Industrial Corridor) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे युवाओं, एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर पैदा होंगे।
रक्षा उत्पादन में सहयोग और नई पहलें
कार्यक्रम के दौरान पीटीसी इंडस्ट्रीज और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत मिसाइलों, यूएवी और अन्य प्रणालियों के लिए प्रोपल्शन सिस्टम, गाइडेड बम और छोटे एरो-इंजन विकसित किए जाएंगे।
साथ ही, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पीटीसी को कई स्वदेशी विकास कार्यक्रमों के लिए लेटर ऑफ टेक्निकल एक्सेप्टेंस (LoTA) भी जारी किए, जिनमें एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए टाइटेनियम कास्टिंग और कावेरी डेरिवेटिव इंजन (KDE-2) के लिए टर्बाइन ब्लेड निर्माण शामिल हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह भारत का पहला टाइटेनियम और सुपरएलॉय मटेरियल्स प्लांट है जो रक्षा और एयरोस्पेस जरूरतों को पूरा करेगा।
- परियोजना में ₹1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और यह 6,000 टन/वर्ष से अधिक उत्पादन क्षमता रखती है।
- यह संयंत्र उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे का हिस्सा है।
- पीटीसी इंडस्ट्रीज और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के बीच सहयोग से भारत में प्रोपल्शन सिस्टम और एरो-इंजन निर्माण की नई क्षमता विकसित होगी।
इस संयंत्र के उद्घाटन के साथ भारत ने रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। यह न केवल देश की तकनीकी संप्रभुता को सशक्त करेगा बल्कि भविष्य में भारत को रणनीतिक सामग्रियों के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।