लखनऊ ने यूनेस्को की “सिटी ऑफ गॅस्ट्रोनॉमी” के लिए नामांकन भेजा

नवाबों का शहर लखनऊ, जो अपनी जीवंत संस्कृति, स्वादिष्ट भोजन और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है, अब वैश्विक मान्यता की दिशा में एक अहम कदम बढ़ा चुका है। लखनऊ ने आधिकारिक रूप से यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN) के तहत “सिटी ऑफ गॅस्ट्रोनॉमी” के लिए नामांकन प्रस्तुत किया है। अगर यह मंजूरी मिलती है, तो लखनऊ भारत का दूसरा शहर होगा जिसे यह गौरव प्राप्त होगा—पहले हैदराबाद को यह खिताब मिल चुका है।
लखनऊ का नामांकन: एक सांस्कृतिक दस्तावेज़
लखनऊ के डिवीजनल कमिश्नर रोशन जैकब के अनुसार, यह नामांकन उत्तर प्रदेश पर्यटन और संस्कृति विभाग द्वारा समन्वित किया गया है। नामांकन के अंतर्गत लखनऊ की समृद्ध अवधी पाक कला को दर्शाया गया है—जिसमें निहारी, बिरयानी, खस्ता, कुल्फी और जलेबी जैसी प्रसिद्ध व्यंजन प्रमुखता से शामिल हैं।मुंबई की हेरिटेज कंसर्वेशनिस्ट अभा नारायण लांबा ने यूनेस्को डॉसियर तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि अवधी व्यंजन केवल राजसी रसोईघर तक सीमित नहीं, बल्कि यह परंपरा आज भी ब्राह्मण, बनिया, कायस्थ, खत्री व श्रमिक वर्ग के परिवारों में जीवित है।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क में भारत की स्थिति
UCCN की शुरुआत 2004 में हुई थी, और इसका उद्देश्य दुनिया भर की रचनात्मक शहरों की पहचान करना है। इस नेटवर्क में भारत के दस शहर पहले से शामिल हैं, जैसे—जयपुर (हस्तशिल्प), वाराणसी (संगीत), मुंबई (फिल्म), चेन्नई (संगीत), और श्रीनगर (हस्तशिल्प)।खास बात यह है कि गैस्ट्रोनॉमी श्रेणी में अभी तक भारत से सिर्फ हैदराबाद ही शामिल है। यदि लखनऊ को यह मान्यता मिलती है, तो यह भारत की पाक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिलाएगा।
लखनऊ की पाक परंपरा की विशिष्टताएं
लखनऊ का खाना केवल स्वाद तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें कहानियाँ और परंपराएं बुनी हुई हैं। कुछ प्रमुख व्यंजन हैं:
- टुंडे कबाब: लखनऊ का सबसे प्रसिद्ध मटन डिश, जो दुनिया भर में पहचाना जाता है।
- अवधी बिरयानी: सुगंधित चावल और मसालेदार मांस का संयोजन।
- खस्ता और कचौड़ी: चाय के साथ आनंदित करने वाले कुरकुरे स्नैक्स।
- बाजपाई की पूरी और दुर्गा के खास्ते: शुद्ध शाकाहारी व्यंजन जो पीढ़ियों से पसंदीदा रहे हैं।
- मिठाइयाँ: मलाई पान, मोतीचूर के लड्डू, जलेबी, रबड़ी और इमरती जैसे पारंपरिक मिठाइयों का संग्रह।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN) की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी ताकि रचनात्मक शहरों को वैश्विक मंच पर सम्मानित किया जा सके।
- भारत के 10 शहर इस नेटवर्क में शामिल हैं, लेकिन अब तक केवल हैदराबाद को ही गैस्ट्रोनॉमी श्रेणी में स्थान मिला है।
- लखनऊ की अवधी रसोई की जड़ें मुगलों और अवध के नवाबों के दरबारों तक जाती हैं, जहां से यह पारंपरिक रूप से आम जनता तक पहुंची।
- लखनऊ का नामांकन डॉसियर अंतरराष्ट्रीय स्तर के कंसल्टेंट्स और यूनेस्को की मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है।
लखनऊ की इस पहल से यह स्पष्ट है कि शहर अपने समृद्ध पाक धरोहर को विश्व पटल पर ले जाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। केवल टुंडे कबाब या बिरयानी ही नहीं, बल्कि शाकाहारी विकल्पों और मिठाइयों की विविधता भी लखनऊ को इस श्रेणी के लिए मजबूत दावेदार बनाती है।
यदि यूनेस्को से मान्यता मिलती है, तो यह न सिर्फ शहर की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यटन, रोजगार और वैश्विक संवाद को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।