लक्षद्वीप में पहली बार इन्वेस्टर्स मीट: मत्स्य और जलीय कृषि में निवेश की नई दिशा
भारत के लक्षद्वीप द्वीपसमूह ने पहली बार एक ऐतिहासिक निवेशक बैठक (Investors’ Meet) का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य द्वीप की विशाल समुद्री संसाधनों को सतत तरीके से उपयोग में लाकर ब्लू इकोनॉमी को सशक्त बनाना है। यह आयोजन केंद्र सरकार और लक्षद्वीप प्रशासन की संयुक्त पहल थी, जो बंघराम द्वीप पर आयोजित किया गया।
इस बैठक ने देशभर के निवेशकों, समुद्री उत्पाद विशेषज्ञों, और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाकर द्वीप की अपार संभावनाओं पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान किया।
मत्स्य और जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश का फोकस
“लक्षद्वीप द्वीपसमूह के मत्स्य और जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसर” विषय पर केंद्रित इस मीटिंग में लगभग ₹519 करोड़ के निवेश प्रस्तावों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
- आयोजन में मत्स्य पालन विभाग (मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय) और लक्षद्वीप प्रशासन की सक्रिय भागीदारी रही।
- यह पहल न केवल मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए थी, बल्कि द्वीप के युवाओं को रोजगार देने और समुद्री जैव विविधता के सतत उपयोग की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
निवेशकों की मांगें और प्राथमिकताएँ
इंटरएक्टिव सत्रों में निवेशकों ने कई लॉजिस्टिक और आधारभूत ढांचे से जुड़ी चुनौतियाँ सामने रखीं:
- मछली उत्पादों को मुख्य भूमि तक पहुँचाने के लिए परिवहन सुविधाओं की आवश्यकता।
- कोल्ड स्टोरेज, आइस प्लांट और चिल्ड फिश हैंडलिंग सेंटर की कमी।
- वैल्यू-एडेड उत्पाद इकाइयों जैसे सशीमी-ग्रेड टूना प्रोसेसिंग यूनिट, फिश ऑयल रिफाइनिंग, मछली सजावटी प्रजातियों के ब्रीड बैंक की भी मांग उठी।
- कुशल जनशक्ति और तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों की आवश्यकता भी महत्वपूर्ण विषय रही।
नीति समर्थन और निर्यात संभावनाएँ
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के अंतर्गत फिशिंग रूल्स जारी कर दिए हैं।
- इससे वैध पास के ज़रिए मछुआरे EEZ में कानूनी रूप से मत्स्य पालन कर सकेंगे।
- अब भारत की EEZ से प्राप्त समुद्री उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत “भारतीय उत्पत्ति” के रूप में मान्यता मिलेगी, जिससे निर्यात में सहूलियत होगी।
- High Seas Fishing Guidelines भी भारतीय ध्वजधारी जहाजों को इन जल क्षेत्रों में कानूनी अधिकार प्रदान करती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लक्षद्वीप का वर्तमान वार्षिक मत्स्य उत्पादन लगभग 14,000 टन है।
- द्वीप की अनुमानित मत्स्य क्षमता 1 लाख टन है।
- पोल-एंड-लाइन टूना फिशिंग को वैश्विक स्तर पर एक सतत मत्स्य पालन विधि माना जाता है।
- भारत के पास विश्व के सबसे बड़े Exclusive Economic Zones (EEZs) में से एक है।
निष्कर्ष
लक्षद्वीप की पहली इन्वेस्टर्स मीट ने द्वीप की अर्थव्यवस्था को नीली अर्थव्यवस्था की ओर निर्देशित करने की ऐतिहासिक शुरुआत की है। समुद्री कृषि, सजावटी मत्स्य पालन और समुद्र-गहराई मत्स्य क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं, जो न केवल स्थानीय विकास को गति देंगे, बल्कि भारत को वैश्विक मत्स्य व्यापार में भी अग्रणी बना सकते हैं। आगामी मिनिकॉय हवाई अड्डा जैसे बुनियादी ढांचे के विकास के साथ यह क्षेत्र निवेशकों के लिए और भी आकर्षक बनेगा। भविष्य की नीतियों में निवेशकों के सुझावों को शामिल कर लक्षद्वीप को एक मॉडल मत्स्य अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।