रोग निगरानी में भारत की बड़ी छलांग: एनसीडीसी का नागरिक-आधारित रिपोर्टिंग तंत्र
भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जब नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने रोग प्रकोपों की शीघ्र पहचान के लिए नागरिकों पर आधारित रिपोर्टिंग प्रणाली की शुरुआत की। यह नई व्यवस्था आम नागरिकों को अपने मोबाइल फोन से सीधे असामान्य स्वास्थ्य घटनाओं की सूचना देने की सुविधा देती है, जिससे प्रशासन को संक्रमण फैलने से पहले ही चेतावनी प्राप्त हो जाती है।
क्यूआर-आधारित नागरिक रिपोर्टिंग प्रणाली
इस तंत्र का मुख्य आधार एक QR कोड है, जो स्वास्थ्य मंत्रालय और एनसीडीसी के आधिकारिक पोर्टलों के साथ-साथ राज्यों में वितरित जागरूकता सामग्री पर उपलब्ध है। नागरिक इस कोड को स्कैन कर बुखार के समूह, दस्त, पीलिया, कुत्ते के काटने, संदिग्ध फूड पॉइज़निंग या किसी भी अनजान स्वास्थ्य पैटर्न की संक्षिप्त जानकारी भेज सकते हैं। उपयोगकर्ता फोटो या छोटे वीडियो भी अपलोड कर सकते हैं, जिससे फील्ड स्तर पर जांच और पुष्टि की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है।
रियल-टाइम डैशबोर्ड से त्वरित प्रतिक्रिया
हर रिपोर्ट सीधे जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के निगरानी डैशबोर्ड पर पहुंचती है। संबंधित अधिकारी रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं, सत्यापन करते हैं और आवश्यकता होने पर तत्काल जांच शुरू की जाती है। यह रीयल-टाइम प्रणाली समुदाय में उभरते लक्षणों और आधिकारिक पहचान के बीच की देरी को काफी हद तक कम करती है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह प्रणाली विशेष रूप से डेंगू, इन्फ्लुएंजा और जलजनित बीमारियों के उच्च-जोखिम वाले मौसम में अत्यंत उपयोगी साबित हो रही है।
सुरक्षा और गोपनीयता के साथ सशक्त निगरानी
यह प्लेटफ़ॉर्म सरकारी सर्वरों और राष्ट्रीय साइबर-सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत संचालित होता है, जिससे उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता सुरक्षित रहती है। स्वचालित फिल्टर और प्रशिक्षित जिला टीमें अप्रासंगिक या भ्रामक रिपोर्टों को छाँटती हैं। अधिकारियों ने नागरिकों से जिम्मेदार उपयोग की अपील की है, यह कहते हुए कि सटीक और समयबद्ध रिपोर्टिंग भारत की रोग-निगरानी क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह नागरिक रिपोर्टिंग प्रणाली इंटीग्रेटेड डिज़ीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) के अंतर्गत संचालित होती है।
- इसे जनवरी 2024 में पूरे देश में लागू किया गया।
- क्यूआर प्रणाली से भेजी गई रिपोर्टें जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ दिखाई देती हैं।
- इसका उद्देश्य रोग प्रकोप की पहचान मरीजों के अस्पताल पहुँचने से पहले ही करना है।
तकनीक और जनसहभागिता का सेतु
हालांकि यह प्रणाली 2024 से सक्रिय है, शुरुआती महीनों में इसकी जागरूकता सीमित रही और अब तक लगभग 100 मान्य रिपोर्टें ही प्राप्त हुई हैं। अधिकारियों का मानना है कि व्यापक जनजागरूकता से सहभागिता बढ़ेगी और नागरिक भी रोग-नियंत्रण के साझेदार बनेंगे।