रैंपेज मिसाइलों से लैस हो रही भारतीय वायुसेना: ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों से रणनीतिक शक्ति में इज़ाफा

भारतीय वायुसेना (IAF) ने इज़राइली मूल की सुपरसोनिक रैंपेज (Rampage) एयर-टू-सर्फेस मिसाइलों के लिए बड़ी संख्या में आदेश प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह निर्णय पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रैंपेज मिसाइलों की सफल तैनाती के बाद लिया गया है, जहां इन्हें आतंकवादी ठिकानों और सैन्य संरचनाओं पर लक्षित हमलों के लिए प्रयोग किया गया था।
रैंपेज मिसाइल: ताकत और पहुंच
रैंपेज मिसाइलों की सबसे बड़ी विशेषता इनकी 250 किलोमीटर तक की मारक क्षमता है, जिससे वायुसेना के लड़ाकू विमान दुश्मन की सीमा में प्रवेश किए बिना ही अपने लक्ष्य पर हमला कर सकते हैं। यह मिसाइलें वर्तमान में Su-30 MKI, Jaguar, MiG-29 तथा भारतीय नौसेना के MiG-29K विमानों के साथ एकीकृत हैं। प्रस्तावित ऑर्डर के तहत अन्य विमान बेड़ों के साथ भी इन्हें जोड़ा जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- रैंपेज मिसाइलें इज़राइल की Elbit Systems और IMI Systems द्वारा विकसित की गई हैं, और ये सुपरसोनिक गति से लक्ष्य पर सटीक प्रहार करती हैं।
- ऑपरेशन सिंदूर एक गुप्त वायु अभियान था जिसमें पाकिस्तान की आतंकी संरचनाओं को निष्क्रिय किया गया था।
- भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में BrahMos, SCALP, Crystal Maze जैसे अन्य स्टैंडऑफ हथियार भी हैं जिनकी रेंज 200 किमी से अधिक है।
- ROCKS मिसाइल (Crystal Maze 2) का परीक्षण भारतीय वायुसेना ने 2024 में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में Su-30 MKI से किया था।
दीर्घकालिक रक्षा सहयोग की दिशा में भारत-इज़राइल साझेदारी
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और इज़राइल रक्षा मंत्रालय के महानिदेशक मेजर जनरल (रि.) आमिर बराम के बीच 23 जुलाई 2025 को हुई बैठक में इन मिसाइल सौदों समेत दीर्घकालिक सहयोग की चर्चा हुई। दोनों देशों ने सैन्य साझेदारी को और सुदृढ़ करने हेतु एक संस्थागत ढांचा विकसित करने पर सहमति जताई।
वायुसेना की बदलती रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों से सीख लेते हुए भारतीय वायुसेना ने अब 200 किलोमीटर से अधिक दूरी की मिसाइलों और रॉकेटों की मांग तेज की है। वायुसेना का मानना है कि 100 किमी से कम रेंज वाली मिसाइलें दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली की पहुंच में आती हैं, जिससे उनकी सुरक्षा कमजोर हो जाती है।
IAF ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को निर्देश दिया है कि वह दीर्घ दूरी की स्टैंडऑफ मिसाइलों के विकास में तेजी लाए, जिससे वायुसेना को रणनीतिक गहराई और अधिक मारक क्षमता मिले।
निष्कर्ष
भारतीय वायुसेना की रैंपेज मिसाइलों की खरीद और एकीकरण की यह प्रक्रिया न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की वायु शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाती है। बढ़ती मारक क्षमता और तकनीकी आत्मनिर्भरता के साथ, भारत सीमावर्ती खतरों से निपटने के लिए अब और अधिक सक्षम बनता जा रहा है। यह कदम भारत-इज़राइल रक्षा सहयोग की गहराई और भारत की उभरती वैश्विक सैन्य रणनीति का प्रतीक है।