रेयर अर्थ मैग्नेट निर्माण को बढ़ावा देने हेतु भारत की ₹7,000 करोड़ की रणनीतिक योजना
भारत ने अपनी रणनीतिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने ₹7,000 करोड़ की योजना को मंजूरी दी है जिसका उद्देश्य देश में “सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट” (REPM) के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना है। यह योजना न केवल भारत की खनिज आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि उच्च विकास क्षेत्रों को आवश्यक तकनीकी संसाधन भी प्रदान करेगी।
भारत में रेयर अर्थ संसाधन आधार
भारत में रेयर अर्थ खनिजों का पर्याप्त भंडार है जो देश के तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में फैला हुआ है। ये खनिज मुख्यतः समुद्रतटीय बालू, लाल रेत और अंतर्देशीय जलोढ़ क्षेत्रों में पाए जाते हैं। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इनका प्रमुख वितरण है। ये संसाधन भारत को एक एकीकृत रेयर अर्थ इकोसिस्टम विकसित करने के लिए आवश्यक कच्चा माल प्रदान करते हैं।
सिंटर्ड रेयर अर्थ मैग्नेट योजना की मुख्य विशेषताएँ
भारत सरकार द्वारा अनुमोदित यह योजना देश में उच्च मूल्य के रेयर अर्थ मैग्नेट निर्माण की पहली संपूर्ण उत्पादन शृंखला (value chain) स्थापित करने पर केंद्रित है। योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 मीट्रिक टन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें रेयर अर्थ ऑक्साइड से लेकर तैयार मैग्नेट तक का संपूर्ण निर्माण प्रक्रिया शामिल होगा। इन मैग्नेटों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टरबाइनों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, रक्षा प्रणाली और एयरोस्पेस उद्योग में अत्यधिक होता है।
रणनीतिक और औद्योगिक महत्त्व
परमानेंट रेयर अर्थ मैग्नेट आधुनिक तकनीकी और हरित ऊर्जा समाधानों की रीढ़ माने जाते हैं। भारत अभी तक इनकी आपूर्ति के लिए मुख्यतः चीन पर निर्भर रहा है। यह नई योजना इस निर्भरता को घटाकर आपूर्ति शृंखला की मजबूती, ऊर्जा संक्रमण में सहायता, घरेलू विनिर्माण क्षमता में वृद्धि और रोजगार सृजन में योगदान देगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- रेयर अर्थ खनिज स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत तकनीकों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
- भारत में ये खनिज तटीय रेत और आंतरिक जलोढ़ क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- सिंटर्ड रेयर अर्थ मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा प्रणाली और विंड टरबाइनों में उपयोग होते हैं।
- भारत की खनिज नीति का एक प्रमुख उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रीय दृष्टिकोण
घरेलू क्षमताओं को मजबूती देने के साथ-साथ भारत ने ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और जाम्बिया जैसे खनिज-संपन्न देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते भी किए हैं। यह पहल आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 के विजन के अनुरूप है, जिसमें रेयर अर्थ तत्वों को ऊर्जा सुरक्षा, औद्योगिक विकास और तकनीकी आत्मनिर्भरता के रणनीतिक आधार स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है।
यह योजना न केवल भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में सशक्त बनाएगी, बल्कि आने वाले दशकों में उसे एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी।