‘रुद्रास्त्र’: भारत की स्वदेशी ड्रोन शक्ति का नया अध्याय

भारतीय सेना ने हाल ही में स्वदेशी रूप से विकसित ड्रोन ‘रुद्रास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है, जो युद्ध के बदलते स्वरूप में भारत की रणनीतिक क्षमता को एक नई ऊँचाई पर ले जाता है। यह अत्याधुनिक हाइब्रिड वीटीओएल (वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग) ड्रोन न केवल हेलीकॉप्टर की तरह ऊर्ध्वगामी उड़ान भर सकता है, बल्कि जेट विमान की तरह लंबी दूरी तय कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है — दुश्मन के इलाके में गहराई तक सटीक हमला कर लौट आने की क्षमता, वो भी बिना किसी सैनिक को खतरे में डाले।

क्या है ‘रुद्रास्त्र’?

‘रुद्रास्त्र’ सोलर एयरोस्पेस एंड डिफेंस लिमिटेड (SDAL) द्वारा विकसित एक हाइब्रिड वीटीओएल ड्रोन है। यह ड्रोन दुश्मन के सैनिकों और उनकी चौकियों पर सटीक हमला करने के लिए स्मार्ट वारहेड से लैस है। यह उड़ान के दौरान रीयल-टाइम वीडियो फीड भेजने में सक्षम है और पूरी तरह स्वायत्तता से अपने लॉन्च प्वाइंट पर लौट सकता है।

‘रुद्रास्त्र’ क्यों है खास?

पोकरण परीक्षण रेंज में हुए परीक्षण के दौरान ‘रुद्रास्त्र’ ने लगभग 170 किलोमीटर की कुल दूरी तय की और 90 मिनट तक हवा में रहा। इसने 50 किलोमीटर से अधिक दूरी तक सटीक हमले करने की क्षमता का प्रदर्शन किया। इस दौरान ड्रोन ने मध्यम ऊँचाई से एयरबर्स्ट म्युनिशन गिराया, जो जमीन के निकट विस्फोट कर एक विस्तृत क्षेत्र में प्रभाव डालता है — यह शत्रु शिविरों या तोपखानों के लिए उपयुक्त है।

‘रुद्रास्त्र’ क्या कर सकता है?

‘रुद्रास्त्र’ का प्रमुख उद्देश्य है — सीमापार गहराई तक स्थित आतंकी ठिकानों, तोपखानों और अन्य रणनीतिक लक्ष्यों पर सटीक हमला करना। यह चुपचाप घुसकर लक्ष्य पर वार करता है और स्वचालित रूप से लौट आता है। इस प्रकार, यह सेना को “स्टैंड-ऑफ वेपन” उपलब्ध कराता है, जिससे सैनिकों की जान जोखिम में डाले बिना हमले किए जा सकते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘रुद्रास्त्र’ एक हाइब्रिड वीटीओएल ड्रोन है, जो हेलीकॉप्टर और विमान दोनों की क्षमताएं समाहित करता है।
  • यह 170 किलोमीटर की कुल रेंज और लगभग 90 मिनट की उड़ान क्षमता रखता है।
  • यह मध्यम ऊँचाई से एयरबर्स्ट वारहेड गिराकर व्यापक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
  • इसका निर्माण सोलर एयरोस्पेस एंड डिफेंस लिमिटेड द्वारा किया गया है।

‘रुद्रास्त्र’ भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह न केवल सैन्य अभियानों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है, बल्कि यह भविष्य के युद्धों में मानव रहित और उच्च सटीकता वाले उपकरणों की भूमिका को और सुदृढ़ करता है। यह सफलता भारतीय सेना की शक्ति को नया आयाम देगी और भारत को वैश्विक रक्षा तकनीक के मानचित्र पर और मजबूती से स्थापित करेगी।

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