रिपोर्ट “Skills for the Future”: भारत के कौशल परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल

नई दिल्ली में आज केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी ने “Skills for the Future: Transforming India’s Workforce Landscape” शीर्षक रिपोर्ट का अनावरण किया। यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (IFC) द्वारा तैयार की गई है और भारत के कौशल, शिक्षा और श्रमिक परिदृश्य का आंकड़ों पर आधारित गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
भारत में कौशल परिदृश्य: आंकड़ों की दृष्टि से
रिपोर्ट Periodic Labour Force Survey (PLFS) 2023-24 के आंकड़ों पर आधारित है और इसके अनुसार:
- 88% कार्यबल आज भी कम-कौशल (low-competency) कार्यों में लगा हुआ है।
- केवल 10–12% कार्यबल ही उच्च-कौशल (high-competency) भूमिकाओं में कार्यरत है।
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व्यावसायिक प्रशिक्षण (TVET) के 66% से अधिक मामलों का ध्यान 5 प्रमुख क्षेत्रों में केंद्रित है:
- सूचना प्रौद्योगिकी और ITeS
- वस्त्र और परिधान
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान
- सौंदर्य और कल्याण
उच्च संभावनाओं वाले क्षेत्रीय केंद्र
रिपोर्ट में Competitiveness Framework Analysis के माध्यम से इन क्षेत्रों में उच्च संभावनाओं वाले पाँच क्षेत्रीय केंद्रों की पहचान भी की गई है, जो भविष्य के लिए कौशल विकास रणनीतियों का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
प्रमुख सिफारिशें
- डाटा संग्रह प्रणाली का मानकीकरण: कौशल आवश्यकताओं का सटीक अनुमान लगाने और नीति निर्माण में सहायता के लिए एक समर्पित डाटा प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता।
- उद्योगों को प्रोत्साहन: स्किल-सर्टिफाइड युवाओं की भर्ती को बढ़ावा देने और उन्हें उच्च वेतन व बाजार-उन्मुख प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- शिक्षा, कौशल और उद्योग के बीच समन्वय: शैक्षणिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण के बीच की खाई को पाटना और अनुभवजन्य शिक्षा को मान्यता देना आवश्यक है।
- रोजगार क्षमता सूचकांक (Employability Index): युवाओं की शिक्षा और कौशल के प्रभाव को ट्रैक करने हेतु एक मजबूत सूचकांक विकसित करने की सिफारिश।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- रिपोर्ट का नाम: Skills for the Future: Transforming India’s Workforce Landscape
- रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्था: Institute for Competitiveness (IFC)
- PLFS 2023-24 के अनुसार, भारत का 88% कार्यबल कम-कौशल कार्यों में संलग्न है।
- प्रमुख प्रशिक्षण क्षेत्र: IT, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य, सौंदर्य और कल्याण।
एक सतत और सशक्त कार्यबल की दिशा में
श्री जयंत चौधरी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “कौशल विकास को केवल आपूर्ति-आधारित नहीं, बल्कि मांग-उन्मुख, परिणाम-आधारित और उद्योग-समन्वित प्रणाली के रूप में समझा जाना चाहिए।” मंत्रालय और संस्थानों के बीच सहयोग की दिशा में यह रिपोर्ट एक ठोस कदम है, जो भारत को भविष्य के लिए तैयार कार्यबल देने की दिशा में प्रेरक बन सकती है।