रासायनिक प्रदूषण वाले स्थलों के प्रबंधन के लिए नए नियम लागू

पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण संरक्षण (प्रदूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025 अधिसूचित किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य रासायनिक प्रदूषण से प्रभावित स्थलों की पहचान, आकलन और सुधार (रीमेडिएशन) के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना है, जो अब तक देश में मौजूद नहीं था, जबकि ऐसे कई स्थल पहले से चिन्हित हो चुके हैं।
प्रदूषित स्थल क्या हैं?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, प्रदूषित स्थल वे हैं जहां अतीत में खतरनाक और अन्य अपशिष्ट फेंके गए हों, जिसके कारण मिट्टी, भूजल और सतही जल में प्रदूषण फैला हो और यह मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता हो।
- इनमें पुराने लैंडफिल, डंप, अपशिष्ट भंडारण व उपचार स्थल, रिसाव क्षेत्र और रासायनिक अपशिष्ट भंडारण इकाइयां शामिल हैं।
- कई स्थल तब विकसित हुए थे जब खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन पर कोई नियम नहीं थे।
- 103 ऐसे स्थल देशभर में पहचाने गए हैं, लेकिन केवल 7 में ही सुधार कार्य शुरू हुआ है।
नए नियमों की प्रक्रिया
- जिला प्रशासन हर छह माह में “संभावित प्रदूषित स्थलों” की रिपोर्ट तैयार करेगा।
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या ‘संदर्भ संगठन’ 90 दिनों में प्रारंभिक मूल्यांकन करेगा।
- अगले तीन माह में विस्तृत सर्वे कर यह तय किया जाएगा कि स्थल वास्तव में प्रदूषित है या नहीं, और 189 सूचीबद्ध खतरनाक रसायनों के स्तर का आकलन होगा।
- सुरक्षित स्तर से अधिक पाए जाने पर स्थल की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी और उस पर पहुंच प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
- विशेषज्ञों की समिति (संदर्भ संगठन) सुधार योजना तैयार करेगी।
- राज्य बोर्ड 90 दिनों में जिम्मेदार व्यक्तियों/संस्थाओं की पहचान करेगा और सुधार लागत उनसे वसूली जाएगी, अन्यथा केंद्र और राज्य सरकारें खर्च वहन करेंगी।
- गंभीर नुकसान या मृत्यु की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत आपराधिक दायित्व लागू होगा।
अपवाद
इन नियमों के तहत निम्न मामलों को शामिल नहीं किया गया है —
- रेडियोधर्मी अपशिष्ट
- खनन कार्यों से उत्पन्न प्रदूषण
- समुद्र में तेल प्रदूषण
- ठोस अपशिष्ट डंप साइट प्रदूषण (क्योंकि इनके लिए अलग कानून मौजूद हैं)
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2010 में ‘औद्योगिक प्रदूषण प्रबंधन क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ के तहत तीन लक्ष्य तय किए गए थे — संभावित प्रदूषित स्थलों की सूची, आकलन व सुधार हेतु दिशानिर्देश, और कानूनी-प्रशासनिक ढांचा।
- 189 खतरनाक रसायन ‘खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही) नियम, 2016’ में सूचीबद्ध हैं।
- भारत में अधिकांश प्रदूषित स्थल पुराने औद्योगिक क्षेत्रों, रासायनिक संयंत्रों और बंद पड़ी फैक्ट्रियों के आसपास पाए जाते हैं।
- इन नियमों में सुधार के लिए समयसीमा तय न होना एक प्रमुख कमी है।
ये नए नियम भारत में रासायनिक प्रदूषण प्रबंधन के लिए एक औपचारिक और पारदर्शी व्यवस्था प्रदान करते हैं, जिससे प्रदूषित स्थलों की पहचान, जिम्मेदारी तय करना और सुधार कार्य तेज़ी से संभव हो सकेगा।