रासायनिक प्रदूषण पर वैश्विक विज्ञान-नीति पैनल की स्थापना, लेकिन स्वास्थ्य संरक्षण पर सहमति नहीं

पुंटा डेल एस्टे, उरुग्वे में 15 से 18 जून के बीच आयोजित बैठक में दुनिया भर के देशों ने रासायनिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक नए वैश्विक विज्ञान-नीति पैनल की स्थापना पर सहमति जताई। यह पैनल रसायनों और कचरे के प्रभावी प्रबंधन और प्रदूषण की रोकथाम में देशों को वैज्ञानिक सलाह प्रदान करेगा। हालांकि, बैठक में इस पैनल का मुख्य उद्देश्य — मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा — निर्धारित करने पर सहमति नहीं बन सकी।

पैनल का उद्देश्य और कार्यप्रणाली

यह नया पैनल जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) और जैव विविधता पर अंतर-सरकारी मंच (IPBES) की तरह काम करेगा, जिससे वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता ह्रास और प्रदूषण जैसे संकटों से निपटने की “त्रयी” पूर्ण होती है। इसका मुख्य कार्य देशों को वैज्ञानिक और नीति-प्रासंगिक जानकारी देना, वैज्ञानिक अनुसंधान में अंतर पहचानना, और नीति निर्माताओं व वैज्ञानिकों के बीच संवाद को बढ़ावा देना होगा।
पैनल पांच मुख्य कार्य करेगा: मुद्दों की पहचान और समाधान प्रस्तुत करना, वैज्ञानिक चुनौतियों का मूल्यांकन करना, अद्यतन जानकारी प्रदान करना, जानकारी साझा करना विशेषकर विकासशील देशों के साथ, और क्षमतावर्धन के लिए प्रशिक्षण व सहयोग बढ़ाना।

सहमति में आई बाधाएँ

बैठक में कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी। सबसे बड़ा विवाद पैनल के उद्देश्य को लेकर था — क्या यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाएगा? कई देशों ने इस उद्देश्य का विरोध किया। कुछ देशों ने यह तर्क दिया कि स्वास्थ्य संबंधी विषयों को शामिल करने से नीति क्षेत्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भागीदारी बढ़ेगी और पेट्रोकेमिकल उद्योग पर दबाव बढ़ेगा।
इसी तरह, “लैंगिक समानता” शब्द को लेकर भी गहरा मतभेद रहा। अमेरिका, अर्जेंटीना, रूस और सऊदी अरब जैसे देशों ने “जेंडर” शब्द को “पुरुष” और “महिला” से बदलने का प्रस्ताव दिया, जिससे यह मुद्दा अब भी दस्तावेज़ में कोष्ठकों में दर्ज है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा को पैनल की “दिशा-निर्देशक सितारा” करार दिया और मानवाधिकार मानकों की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त की।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने 2022 में इस पैनल की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की थी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, केवल कुछ रसायनों की वजह से 2019 में लगभग 20 लाख लोगों की मौत हुई थी।
  • IPCC, IPBES और यह नया पैनल मिलकर “त्रिस्तरीय संकट” से निपटने के लिए समर्पित हैं: जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का ह्रास और प्रदूषण।
  • यह पैनल रासायनिक जोखिम या विशिष्ट रसायनों के विनियमन पर निर्णय नहीं लेगा, केवल वैज्ञानिक सलाह देगा।

पैनल की पूर्ण रूप से स्थापना में अभी तीन से पांच वर्ष लग सकते हैं। इसके लिए प्रक्रियात्मक नियम, कार्ययोजना, हितों के टकराव की नीति और वित्त पोषण पर भी देशों को सहमति बनानी होगी। इन निर्णयों पर ही इस पैनल की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता निर्भर करेगी।
यह पहल भले ही पूरी तरह परिपक्व न हुई हो, लेकिन यह प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एक नई वैज्ञानिक और नीति-निर्माण संरचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले वर्षों में, यह पैनल रासायनिक खतरे के प्रति वैश्विक जागरूकता और कार्रवाई को नई दिशा दे सकता है।

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