राष्ट्रीय सुरक्षा पर सिविल-मिलिट्री संवाद को मजबूती देता CORE कार्यक्रम

संयुक्त रक्षा स्टाफ मुख्यालय (HQ IDS) द्वारा 22 से 26 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली स्थित यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में आयोजित किया जा रहा “कम्बाइंड ऑपरेशनल रिव्यू एंड इवैल्यूएशन (CORE) प्रोग्राम” राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में सिविल और सैन्य संवाद का एक अनूठा मंच प्रस्तुत करता है। यह पांच दिवसीय कार्यक्रम भारत की सुरक्षा चुनौतियों के प्रति रणनीतिक जागरूकता बढ़ाने और भविष्य के नेताओं को व्यावहारिक निर्णय लेने में सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

रणनीतिक विचार-विमर्श और समग्र दृष्टिकोण

CORE कार्यक्रम का उद्देश्य देश और क्षेत्र की वर्तमान सुरक्षा स्थिति, वैश्विक चुनौतियों और युद्ध की बदलती प्रवृत्तियों पर गहन विचार-विमर्श करना है। इसमें भारतीय सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी, रक्षा, विदेश और गृह मंत्रालयों के अधिकारी शामिल हो रहे हैं। इनकी सहभागिता एक समग्र, संतुलित और सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है।
कार्यक्रम में निम्नलिखित मुख्य विषयों पर चर्चा की जा रही है:

  • क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में बदलाव
  • तकनीकी परिवर्तन का युद्ध की प्रकृति पर प्रभाव
  • रणनीतिक संचार की महत्ता
  • जटिल बहुआयामी खतरों से निपटने में सिविल-मिलिट्री तालमेल की आवश्यकता

नेतृत्व विकास और पेशेवर क्षमता निर्माण

यह पहल वरिष्ठ अधिकारियों को समकालीन सुरक्षा चुनौतियों की गहरी समझ प्रदान करती है। विषय विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित पेशेवरों से संवाद के माध्यम से प्रतिभागियों को नई दृष्टिकोण प्राप्त होते हैं, जो उन्हें आगामी नेतृत्व भूमिकाओं में व्यावहारिक, सूचित और संतुलित निर्णय लेने में सहायक होंगे।
कार्यक्रम संयुक्त कार्य संचालन, बहु-विषयक समाधान क्षमता, और नीति निर्धारण में रणनीतिक सोच को मजबूती देता है। यह सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने के साथ-साथ सिविल प्रशासन के साथ सामंजस्य को भी प्रोत्साहित करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CORE कार्यक्रम 22–26 सितंबर 2025 के बीच नई दिल्ली में आयोजित हो रहा है।
  • इसका आयोजन मुख्यालय संयुक्त रक्षा स्टाफ (HQ IDS) द्वारा किया जा रहा है।
  • इसमें रक्षा, गृह और विदेश मंत्रालयों के अधिकारी भी सैन्य अधिकारियों के साथ शामिल हो रहे हैं।
  • कार्यक्रम का उद्देश्य रणनीतिक समझ को बढ़ाना और भविष्य के सैन्य-प्रशासनिक नेताओं को तैयार करना है।

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