राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप में तमिलनाडु के ग्रैंडमास्टर इनियान पी बने विजेता

भारतीय शतरंज जगत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने वाली 62वीं राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप का समापन विजय और सीख के संदेश के साथ हुआ। तमिलनाडु के ग्रैंडमास्टर इनियान पी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खिताब अपने नाम किया और ₹6 लाख की पुरस्कार राशि जीती। यह उपलब्धि उनकी लगातार मेहनत और रणनीतिक सोच का परिणाम रही, जिसने उन्हें प्रतियोगिता का असली चैंपियन बना दिया।
युवा प्रतिभाओं की चमक
इस चैम्पियनशिप में युवा खिलाड़ियों ने भी अपना दमखम दिखाया। महज़ 15 वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय मास्टर एच. गौतम कृष्णा (केरल) ने दूसरा स्थान हासिल किया और ₹5 लाख की पुरस्कार राशि पाई। इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि भारतीय शतरंज के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है। वहीं, पेट्रोलियम स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (PSPB) का प्रतिनिधित्व कर रहे ग्रैंडमास्टर कृष्णन सशिकिरण तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें ₹4 लाख का पुरस्कार मिला।
आयोजन और प्रेरणादायक संदेश
आंध्र चेस एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस सप्ताहभर चलने वाले टूर्नामेंट को अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (AICF), खेल मंत्रालय तथा आंध्र प्रदेश खेल प्राधिकरण का सहयोग मिला। प्रतियोगिता का समापन विजनान्स यूनिवर्सिटी में हुआ। समापन समारोह में विजनान संस्थानों के चेयरमैन डॉ. लवु रथैया ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा—”विजय केवल एक वाक्य है, लेकिन हार एक विद्यालय है।”उन्होंने बताया कि शतरंज में की गई हर गलती एक सीख है। जीत तात्कालिक खुशी देती है, लेकिन हार भविष्य की सफलता की नींव रखती है। उन्होंने शिक्षा और खेल के बीच संतुलन पर भी जोर दिया और घोषणा की कि विजनान्स यूनिवर्सिटी खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पूर्ण शुल्क माफी (फुल ट्यूशन फी वेवर) प्रदान करती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में पहली राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप 1955 में आयोजित की गई थी।
- विश्वनाथन आनंद भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने (1988)।
- अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) की स्थापना 1924 में हुई थी।
- शतरंज को भारत से उत्पन्न खेल माना जाता है, जिसका प्राचीन रूप “चतुरंग” कहलाता था।