राष्ट्रीय ऊँट स्थिरता पहल (NCSI): भारत में ऊँट संरक्षण की नई शुरुआत

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने देश में घटती ऊँट जनसंख्या को बचाने के लिए ‘राष्ट्रीय ऊँट स्थिरता पहल’ (National Camel Sustainability Initiative – NCSI) शुरू करने की योजना बनाई है। इस महत्वाकांक्षी मिशन का उद्देश्य ऊँटों की आर्थिक और पारिस्थितिकीय महत्ता को पुनर्स्थापित करना है।
ऊँट जनसंख्या में गिरावट: एक गंभीर चिंता
वर्ष 2019 की 20वीं पशुधन गणना के अनुसार, देश में ऊँटों की संख्या केवल 2.52 लाख रह गई है, जो 1977 में 11 लाख और 2013 में 4 लाख थी। इनका लगभग 90% हिस्सा राजस्थान और गुजरात जैसे पारंपरिक ऊँट-पालक राज्यों में केंद्रित है। यह गिरावट न केवल पशुधन विविधता के लिए, बल्कि रेगिस्तानी क्षेत्रों की पारिस्थितिकी और चरवाहा समुदायों की आजीविका के लिए भी खतरा है।
NCSI के प्रमुख उद्देश्य
NCSI बहु-आयामी रणनीति के साथ केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों को एक मंच पर लाने का प्रयास करेगा, जिनमें शामिल हैं:
- पशुपालन और डेयरी विभाग
- पर्यावरण मंत्रालय
- ग्रामीण विकास मंत्रालय
- पर्यटन मंत्रालय
इस समन्वित प्रयास का उद्देश्य ऊँटों के संरक्षण, पालन-पोषण, व्यापार और जागरूकता से जुड़ी सभी गतिविधियों को एक व्यापक नीति में समाहित करना है।
प्रमुख प्रस्ताव और सुझाव
ड्राफ्ट नीति पत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें सुझाई गई हैं:
- राजस्थान ऊँट अधिनियम की समीक्षा: जिससे संरक्षण और आजीविका के अधिकारों में संतुलन बने।
- अन्य राज्यों के साथ सुरक्षित व्यापार तंत्र: ऊँटों के अंतरराज्यीय व्यापार के लिए ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और ई-मार्केट प्लेटफार्म विकसित किए जाएँगे।
- राष्ट्रीय ऊँट जागरूकता अभियान: ऊँट संस्कृति को स्कूल की किताबों, जन अभियान, ग्रामीण मेलों में शामिल किया जाएगा।
- विश्व ऊँट दिवस (22 जून): को राष्ट्रीय स्तर पर मनाकर ऊँट संरक्षण और नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में सबसे अधिक ऊँट राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं।
- 1977 में ऊँटों की संख्या 11 लाख थी, जो 2019 तक घटकर 2.52 लाख रह गई।
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) में ऊँट शामिल हैं, लेकिन इसका क्रियान्वयन सीमित रहा है।
- विश्व ऊँट दिवस 22 जून को मनाया जाता है।