राष्ट्रपति मुर्मू का सिद्दी समुदाय से संवाद: शिक्षा, अधिकार और समावेशी विकास की दिशा में प्रेरक पहल

गुजरात के जूनागढ़ ज़िले में 10 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिद्दी समुदाय के सदस्यों से मुलाक़ात की और संवाद स्थापित किया। अफ्रीकी मूल की यह विशेष जनजाति भारत में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में जानी जाती है। राष्ट्रपति की यह यात्रा आदिवासी सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही।
शिक्षा को बताया सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस अवसर पर सिद्दी समुदाय की 72% से अधिक साक्षरता दर की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा न केवल व्यक्तिगत प्रगति का साधन है, बल्कि समुदाय के समग्र विकास की कुंजी भी है। उन्होंने युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और कहा कि शिक्षा के माध्यम से ही आत्मनिर्भरता और सम्मान प्राप्त किया जा सकता है।
कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी को बताया आवश्यक
राष्ट्रपति ने सिद्दी समुदाय से अपील की कि वे केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे जनजातीय कल्याण और विकास कार्यक्रमों की जानकारी रखें और इनका लाभ उठाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित न रहकर पूरे गाँव और समुदाय के लिए साझा प्रयास बननी चाहिए।
प्रकृति-मैत्रीपूर्ण जीवनशैली और संस्कृति की सराहना
राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी समाज की प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली को “सतत जीवन” का उदाहरण बताया और कहा कि यह आज की वैश्विक जलवायु चुनौतियों के बीच एक प्रेरणादायक मार्ग है। उन्होंने यह भी कहा कि एक न्यायसंगत और समावेशी समाज के निर्माण में आदिवासी समुदायों की सक्रिय भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सिद्दी समुदाय भारत का एकमात्र अफ्रीकी मूल का जनजातीय समूह है, जो मुख्यतः गुजरात, कर्नाटक और गोवा में निवास करता है।
- भारत में वर्तमान में 75 जनजातियों को PVTG के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वयं एक आदिवासी समुदाय (संथाल) से संबंधित हैं और भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं।
- राष्ट्रपति ने अपनी गुजरात यात्रा के दौरान प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में भी पूजा अर्चना की।