राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पनडुब्बी दौरा: राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पनडुब्बी दौरा: राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 28 दिसंबर को कर्नाटक के कारवार बंदरगाह से एक दुर्लभ और प्रतीकात्मक पनडुब्बी यात्रा (submarine sortie) पर जाएंगी। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम उनके चार दिवसीय दौरे का हिस्सा है जिसमें वे गोवा, कर्नाटक और झारखंड का दौरा करेंगी। यह पनडुब्बी यात्रा भारतीय नौसेना के प्रति उनके गहरे जुड़ाव और भारत की रणनीतिक क्षमताओं के प्रति सम्मान को दर्शाती है।

कारवार बंदरगाह से पनडुब्बी यात्रा

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह पनडुब्बी यात्रा पश्चिमी तट पर स्थित कारवार नौसैनिक अड्डे से शुरू होगी, जो भारत के सबसे प्रमुख नौसैनिक बेस में से एक है। इस यात्रा के साथ राष्ट्रपति मुर्मू, भारत की दूसरी राष्ट्रपति बन जाएंगी जिन्होंने पनडुब्बी में सवार होकर समुद्री मिशन का अनुभव प्राप्त किया है।

इससे पहले, 2006 में पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने विशाखापत्तनम से पनडुब्बी यात्रा की थी। इस प्रकार, लगभग दो दशकों के बाद फिर से किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा पनडुब्बी यात्रा की जा रही है।

सैन्य जुड़ाव की विरासत

राष्ट्रपति मुर्मू पहले भी भारतीय सशस्त्र बलों के साथ अपने गहन जुड़ाव को दर्शा चुकी हैं। वे भारतीय वायुसेना के दो अग्रणी लड़ाकू विमानों — राफेल (2025) और सुखोई-30 MKI (2023) — में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय राष्ट्रपति बन चुकी हैं।

उनकी यह सक्रिय भागीदारी न केवल राष्ट्र की सैन्य शक्ति में जनता का विश्वास बढ़ाती है, बल्कि राष्ट्रपति पद की सक्रिय और प्रतिनिधिक भूमिका को भी सशक्त बनाती है।

तीन राज्यों का दौरा कार्यक्रम

राष्ट्रपति 27 दिसंबर की शाम को गोवा के लिए रवाना हुईं, इसके बाद 28 दिसंबर को कर्नाटक में पनडुब्बी यात्रा का कार्यक्रम होगा। पश्चिमी भारत के दौरे के बाद वे झारखंड जाएंगी, जहां 29 दिसंबर को जमशेदपुर में संथाल समुदाय की लिपि ‘ओल चिकी’ के शताब्दी समारोह में भाग लेंगी।

उसी दिन वे एनआईटी जमशेदपुर के 15वें दीक्षांत समारोह को भी संबोधित करेंगी, जिससे उच्च शिक्षा और जनजातीय पहचान को नई दिशा मिलेगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • कारवार बंदरगाह भारत के पश्चिमी तट का एक रणनीतिक नौसैनिक अड्डा है।
  • ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पहले भारतीय राष्ट्रपति थे जिन्होंने पनडुब्बी यात्रा की थी।
  • द्रौपदी मुर्मू पहली राष्ट्रपति हैं जिन्होंने राफेल और सुखोई-30 MKI दोनों में उड़ान भरी है।
  • ‘ओल चिकी’ संथाल समुदाय की भाषा के लिए प्रयुक्त लिपि है।

झारखंड में सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम

30 दिसंबर को राष्ट्रपति गुमला जिले में आयोजित ‘अंतरराज्यीय जनसांस्कृतिक समागम समारोह’ और ‘कार्तिक जात्रा’ में भाग लेंगी। इन आयोजनों में उनका संबोधन जनजातीय संस्कृति, लोक कलाओं और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।

इस यात्रा के माध्यम से राष्ट्रपति मुर्मू ने एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, सांस्कृतिक विरासत और उच्च शिक्षा तीनों को समान प्राथमिकता दी गई है। यह उनकी समावेशी और जन-संवेदनशील नेतृत्व शैली का सशक्त उदाहरण है।

Originally written on December 27, 2025 and last modified on December 27, 2025.

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