राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल जेट में भरी ऐतिहासिक उड़ान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा स्थित अंबाला एयर फोर्स स्टेशन से राफेल लड़ाकू विमान में 30 मिनट की ऐतिहासिक उड़ान भरकर एक नया इतिहास रच दिया। यह प्रतीकात्मक उड़ान भारत की उन्नत वायु रक्षा क्षमताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा में महिला नेतृत्व की सशक्त भूमिका को रेखांकित करती है। राष्ट्रपति को उनके आगमन पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर भी प्रदान किया गया।
अंबाला एयरबेस से ऐतिहासिक उड़ान
सुबह लगभग 11:27 बजे, राष्ट्रपति मुर्मू ने दो-सीटर राफेल विमान में जी-सूट और फ्लाइट गियर पहनकर उड़ान भरी। टेकऑफ से पहले उन्होंने कॉकपिट से हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन किया। यह उड़ान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह की देखरेख में सम्पन्न हुई, जो स्वयं एक अन्य विमान में सवार थे। उड़ान के सफल समापन पर राष्ट्रपति का वायुसेना कर्मियों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जो सशस्त्र बलों के लिए गौरवपूर्ण क्षण था।
राष्ट्रपति की पारंपरिक लड़ाकू उड़ानों की परंपरा
यह राष्ट्रपति मुर्मू की दूसरी लड़ाकू विमान उड़ान थी। इससे पहले अप्रैल 2023 में उन्होंने असम के तेजपुर एयरबेस से सुखोई-30 MKI में उड़ान भरी थी, जिससे वह ऐसा करने वाली दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी थीं। इससे पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (2006) और प्रतिभा पाटिल (2009) ने भी सुखोई में उड़ान भरी थी। इन उड़ानों के माध्यम से राष्ट्रपति सशस्त्र बलों से सीधे जुड़ाव और उनके संचालन की तत्परता को दर्शाते हैं।
राफेल: भारत की वायु शक्ति का स्तंभ
फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल जेट 2020 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था और तब से यह भारत की वायु आक्रमण क्षमताओं का प्रमुख आधार बन चुका है। मई 2025 में पाकिस्तान नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के लिए चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” में राफेल की निर्णायक भूमिका रही थी। इसकी उच्च गति, सटीकता और एडवांस एवियॉनिक्स भारत की सामरिक शक्ति को कई गुना बढ़ाते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 29 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रपति मुर्मू ने अंबाला एयरबेस से राफेल में 30 मिनट की उड़ान भरी।
- राफेल जेट सितंबर 2020 में 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन ऐरो’ के अंतर्गत वायुसेना में शामिल हुए।
- मई 2025 के “ऑपरेशन सिंदूर” में राफेल ने पाकिस्तान नियंत्रित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया।
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (2006) और प्रतिभा पाटिल (2009) ने भी सुखोई-30 MKI में उड़ान भरी थी।
राष्ट्रीय रक्षा और महिला नेतृत्व का प्रतीक
यह उड़ान सिर्फ एक सैन्य गतिविधि नहीं, बल्कि भारत की रक्षा तकनीक में प्रगति और राष्ट्रपति पद के नेतृत्व की प्रतीकात्मक भूमिका को दर्शाती है। यह न केवल वायुसेना की संचालन क्षमता को प्रदर्शित करती है, बल्कि देश की नारी शक्ति, गौरव और सर्वोच्च कमांडर की सैनिकों के साथ गहरी जुड़ाव को भी उजागर करती है।
इस ऐतिहासिक क्षण ने न केवल भारतीय वायुसेना का मनोबल ऊंचा किया, बल्कि भारत के भविष्य की रक्षा दृष्टि को भी मजबूती दी है।